उत्तराखंड

मेयर पद के आरक्षित और अनारक्षित को लेकर हो रही लड़ाई

रुड़की। नगर निगम मेयर पद के आरक्षित और अनारक्षित को लेकर चल रही लड़ाई बराबर के अंक पर पहुंच गई है यानी कि रुड़की मेयर पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित भी हो सकता है और सामान्य भी रह सकता है। दोनों की 50-50 संभावना है। दोनों ओर से राजनीतिक तौर पर बराबरी के जोड़ लग रहे हैं। फिलहाल पिछड़ा वर्ग के नेता भी मेयर पद को आरक्षित कराने के लिए भागदौड़ कर रहे हैं तो स्वर्ण जाति के नेताओं का भी पूरा जोर सीट को सामान्य रखवाने की में है। भाजपा कांग्रेस बसपा नेता अपनी अपनी पार्टियों में फिलहाल टिकट की पैरवी छोड़े हुए हैं। वह टिकट किसका होगा और किसका नहीं होगा इन चर्चाओं मैं पढ़ने के बजाए उन समीकरणों पर अधिक यान दे रहे हैं। जिसके तहत मेयर पद उनकी सुविधा के अनुरूप रह जाए। इस संबंध में भाजपा के कुछ नेता शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक से भी मिले हैं और हरिद्वार के सांसद डॉ रमेश पोखरियाल सभी मिलकर उन्होंने इस संबंध में चर्चा की है भाजपा प्रदेश अयक्ष अजय भट्ट से भी इस बाबत कुछ नेताओं की बातचीत हुई है। तीनों ही जगह से नेताओं को कोई खास आश्वासन नहीं मिला है मौत इतना इन्हें कहा गया है कि अभी इंतजार कीजिए सब कुछ नियमानुसार होगा। इस और जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा। जो फार्मूला अन्य नगर निकाय में लागू होगा वही रुड़की नगर निगम में लागू होगा। इसीलिए आरक्षण को लेकर बहुत अधिक प्रयास करने की जरूरत नहीं है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से पार्टी में अगले पिछड़े की बात करने वाले नेताओं को तो नसीहत भी मिली है। उन्हें स्पष्ट शब्दों में कहा गया कि अगड़ो पिछड़ों की बात छोड़ कर पार्टी को मजबूत करने का काम किया जाए। मन बना लिया जाए कि जो भी प्रत्याशी तय होगा उसको ही जिताने का काम किया जाएगा। दायित्वधारी की लाइन में दो नेताओं को तो पार्टी शीर्ष नेतृत्व से इस संबंध में एक तरह से कड़ी हिदायत भी मिली है उनसे कहा गया है कि कभी आप दायित्व मांगते हैं कभी आप जिला और प्रदेश संगठन में पद दिए जाने की बात करते हैं और अब अपनी सुविधानुसार सीट करा कर मेयर का टिकट चाहते हो ऐसा नहीं होता कि सब कुछ आपकी इच्छा के अनुसार ही हो जाएगा। एक नेता को तो यहां तक कह दिया गया कि जितना उन्हें मिला है क्या वह कम है जो अब मेयर के टिकट के लिए आप खेमेबंदी करा रहे हैं। बहराल मेयर पद की आरक्षण को लेकर हो रही भागदौड़ से भाजपा की आंतरिक राजनीति भी खासी गरमाई हुई है। इस बीच स्थानीय नेताओं को अपने वजूद का भी धीरे-धीरे पता लगता जा रहा है। अब तक वह मानकर चल रहे थे कि जैसे वह चाहेंगे वैसा ही हो जाएगा। लेकिन अब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से जो हिदायत मिल रही है। उससे इन्हें अपने वास्तविकता का एहसास हो रहा है। भले ही पिछड़ा वर्ग और स्वर्ण जाति के नेता अब क्यों होता वे करें लेकिन मेयर पद आरक्षित रहेगा या अनारक्षित इस बारे में अभी कुछ कह पाना जल्दबाजी होगा। हालांकि भाजपा में टिकट के पिछड़ा वर्ग के दावेदार शोभा राम प्रजापति डॉक्टर कल्पना सैनी श्यामवीर सिंह चौधरी धीर सिंह सुबोध यादव मनोज तोमर दिनेश पवार सुबोध सैनी, मनोज सैनी आदेश सैनी पूर्व जिलायक्ष राजेश सैनी आदि को पूरा भरोसा है कि मेयर पद पिछड़ा वर्ग के लिए ही आरक्षित होगा। चाहे कोई जो कहे। स्वर्ण जाति के नेताओं का भी कुछ ऐसा ही कहना है वह कह रहे हैं कि मेयर पद निश्चित रूप से सामान्य ही होगा। इतना जरूर हो सकता है की सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित हो जाए। उसमें सामान्य महिला भी चुनाव लड़ सकती है और पिछड़ा वर्ग की महिला को भी चुनाव का अवसर मिल सकता है। सियासतकार भी मान है कि जिस तरह से मेयर पद के आरक्षण को लेकर पार्टी में जबरदस्त उठापटक चल रही है । ऐसे में महिला वर्ग के लिए ही आरक्षित करना ठीक रहेगा। इससे पिछड़ा और सामान्य वर्ग की महिलाएं राजनीतिक और सामाजिक तौर पर सक्रिय हैं उन्हें चुनाव लड़ने का अवसर मिल जाएगा। इससे टिकट के दावेदारों की संख्या भी बहुत कम रह जाएगी। प्रत्याशी चयन करने में भी पार्टी हाईकमान को कोई किसी तरह की ज्यादा दिक्कत पेश नहीं आएगी। सियासतकारों का कहना है कि महिला वर्ग के लिए सीट आरक्षित होने पर भाजपा को ही नहीं बल्कि कांग्रेस और बसपा नेतृत्व को भी प्रत्याशी चयन करने में आसानी रहेगी। क्योंकि इन पार्टी में भी चुनाव लड़ने के इच्छुक कम ही नेता है। यदि संबंध में पार्टी हुई में चल रही बातचीत पर गौर करें तो भाजपा में राखी चंद्रा अनीता त्यागी सावित्री मंगला डॉ कल्पना सैनी प्रबल दावेदार है। जबकि मनीषा बत्रा का नाम भी चर्चा में है। कांग्रेस में माला चौहान रश्मि चौध्री डॉक्टर संगीता, श्रेष्ठा राणा आदि नाम खासे चर्चा में है। बहुजन समाज पार्टी में अभी तक किसी महिला नेता का नाम चुनाव लड़ने के लिए सामने नहीं आया है।

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