उत्तराखंड

मुख्यमंत्री ने की केन्द्रीय मंत्रियों के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को मुख्यमंत्री आवास पर केन्द्रीय संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा के साथ वन, पर्यावरण एवं संस्कृति विभागों के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। बैठक में पौड़ी जनपद में वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली के जीवन पर 11 करोड़ की लागत से एक संग्रहालय, टिहरी में भागीरथी नदी के निकट 20 करोड़ की लागत से एक गंगा संग्रहालय तथा अल्मोड़ा में उदय शंकर अकादमी में एक संग्रहालय निर्माण पर केन्द्रीय राज्य मंत्री द्वारा सैद्धान्तिक सहमति प्रदान की गई। इसके साथ ही देहरादून में केन्द्र सरकार द्वारा शत प्रतिशत वित्त पोषित एक विशाल साइंस सिटी की सहमति भी प्रदान की गई है। राज्य सरकार द्वारा साइंस सिटी के लिए भूमि चयनित कर ली गई है। केन्द्र सरकार द्वारा देहरादून में साइंस सिटी हेतु 190 करोड़ रूपए प्रदान किए जायेंगे। इसके साथ ही अन्य शहरों में जनसंख्या के अनुसार दस से तीस करोड़ रूपए की लागत से साइंस सिटी की स्थापना हेतु भी केन्द्रीय राज्य मंत्री द्वारा सकारात्मक रूख दर्शाया गया।
बैठक में वन विभाग के विभिन्न मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई। केन्द्रीय राज्य मंत्री ने अगले दो सप्ताह के भीतर सभी मुद्दों पर केन्द्रीय वन मंत्रालय और उत्तराखण्ड के अधिकारियों की एक बैठक बुलाकर ठोस कार्यवाही का भरोसा दिलाया। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा केन्द्रीय राज्य मंत्री के समक्ष कोटद्वार-रामनगर कंडी मार्ग का विषय उठाया गया जिस पर उन्होने सकारात्मक रूख दिखाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार कंडी मार्ग के लिए ग्रीन रोड सहित सभी पर्यावरण अनुकूल विकल्पों पर काम कर रही है। वाईल्ड लाईफ इन्स्टीट्यूट सहित अन्य विशेषज्ञ संस्थाओं की सलाह भी ली जा रही है। मुख्यमंत्री ने कंडी मार्ग को उत्तराखण्ड की जनता और यहां के पर्यटन के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया। केन्द्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर लाईन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के 100 कि0मी0 के भीतर वन क्षेत्र से सम्बंधित विषय पर निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार को अधिकार प्रदान किए जाने पर विचार किया जा रहा है। उत्तराखण्ड के संदर्भ में भी इस विषय पर शीघ्र ही दिशा निर्देश भेजा जाएगा।
राज्य सरकार ने एक हैक्टेयर तक की वन भूमि हस्तांतरण के अधिकार को अगले पांच वर्षों के लिए विस्तारित करने की मांग की। इसके साथ ही आपदा प्रभावित जनपदों में पांच हैक्टेयर तक की वन भूमि हस्तांतरण का अधिकार जो वर्ष 2016 में समाप्त हो गया था उसे भी अगले पांच वर्षों के लिए राज्य सरकार को पुन: प्रदान करने की मांग की। केन्द्रीय राज्य मंत्री ने दोनो ही मुद्दों पर सकारात्मक रूख दर्शाया। वन विभाग के अधिकारियों ने केन्द्रीय राज्य मंत्री को भागीरथी ईको सेन्सटिव जोन के उन प्रावधानों से भी अवगत कराया, जिन पर राज्य की आवश्यकता के अनुरूप लचीला रूख अपनाते हुए संशोधन की आवश्यकता है। कैम्पा एक्ट 2016 की विचाराधीन नियमावली में पर्वतीय प्रदेशों की समस्या और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए नियम बनाने का अनुरोध किया गया। वन विभाग द्वारा बताया गया कि विचाराधीन नियमावली में जल संरक्षण के कार्य, भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का उपचार और मानव वन्य जीव संघर्ष जैसे विषयों को सम्मिलित नहीं किया गया है। बैठक में बताया गया कि एक हजार मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित चीड़ के घने जंगलों में सूर्य की किरणें नीचे तक नहीं पंहुच पा रही है जिसके कारण कार्बन सीक्वेस्ट्रशन (कार्बन पृथक्करण) प्रभावित हो रहा है, जिसके लिए ऊंचाई पर स्थित पेड़ों की नियंत्रित छटाई की आवश्यकता है। परन्तु वर्ष 1986 से एक हजार मीटर से अधिक ऊंचाई पर पेड़ कटान की अनुमति नही है। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव वन एवं पर्यावरण डा0 रणवीर सिंह, प्रमुख वन संरक्षक आर.के.महाजन, अपर सचिव मुख्यमंत्री आशीष श्रीवास्तव एवं निदेशक संस्कृति श्रीमती बीना भट्ट सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button