उत्तराखंड

औषधीय पादपों के संरक्षण पर जोर दिया जाना जरूरी

विकासनगर: शुक्रवार को मल्टीपल एक्शन ग्रुप फॉर इंटीग्रेटेड रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी ने प्राथमिक विद्यालय जुडली में छात्र-छात्राओं को औषधीय पादपों की जानकारी देने के लिए हर्बल गार्डन भी लगाया। सोसाइटी के अध्यक्ष अमित रोहिला ने कहा कि मानव जीवन में औषधीय व सुगंधित पादपों का विशेष महत्व है। देश में ऐसे पादपों के संरक्षण व खेती पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि उसका लाभ किसानों के साथ उद्यमियों व आमजन को मिल सके। कहा कि प्रकृति ने हमें स्वस्थ रहने व उपचार के लिए वन औषधियों की सौगात दी है। आज भी 80 प्रतिशत लोग घरेलू व स्वदेशी चिकित्सा पद्धति पर विश्वास करते हैं। आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली आज भी अपना विशिष्ट स्थान बनाए हुए है।

विद्यालय की प्रधानाध्यापिका रमा बिष्ट ने कहा कि आयुष की दृष्टि से सबसे अधिक संसाधन उत्तराखंड में है। यहां जंगलों व अन्य क्षेत्रों में औषधीय पादपों की भरमार है। आवश्यकता इन पादपों के गुणों की जानकारी होने की है। उन्होंने कहा वैज्ञानिक आधारों पर अनुसंधान एवं व्यवस्थित कार्य पद्धति के कारण एलोपैथी प्रमुख चिकित्सा पद्धति बन चुकी है। आयुष पद्धतियों के बारे में वैज्ञानिक दृष्टि से व्यवस्थित अनुसंधान कर जन सामान्य की आयुर्वेद व जड़ी-बूटियों के बारे में आस्था व विश्वास को सुदृढ़ किया जा सकता है। सोसाइटी के सदस्यों ने छात्र-छात्राओं को तुलसी, आंवला, हरड़, ऐलोवेरा, स्टीविया, मेंथा, ब्राह्मी सहित कई अन्य औषधीय पादपों की पहचान व उनके महत्व की जानकारी मुहैया कराई गई। इस दौरान कविता चौहान, हिमांशु आर्य, योगेश, विजय ¨सह आदि मौजूद रहे।

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