उत्तराखंड

पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्यों को थमाया गवर्नेंस फार्मूला

देहरादून : मोदी लहर के बूते पहले केंद्र और फिर कई राज्यों में सत्ता तक पहुंचने वाली भाजपा के सामने जन आकांक्षाओं और अपेक्षाओं के मुताबिक गुड गवर्नेंस और साफ-सुथरे ढंग से काम करने की चुनौती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी, मसूरी के दो दिनी दौरे को सियासत से भले ही दूर रखा हो, लेकिन इसके जरिये भाजपा संगठन के साथ ही राज्यों की भाजपा सरकारों को साफतौर पर संदेश दे दिया है कि उन्हें प्रशासनिक दक्षता की कसौटी पर खरा उतरना होगा। भविष्य में देश के शीर्ष पदों को संभालने वाले नए नौकरशाहों के बीच मोदी सिर्फ गए ही नहीं, बल्कि लंबा वक्त गुजारकर गवर्नेंस पर ‘मोदी फार्मूला’ भी सामने रखा है।

आजादी के बाद कांग्रेस के इतर किसी विपक्षी दल के रूप में पहली बार केंद्र के साथ ही राज्यों की सत्ता पर भाजपा को काबिज कराने में कामयाब मोदी के समक्ष अब जनता को प्रशासनिक कार्यकुशलता का संदेश देने की चुनौती है। बदलाव की इस अलख को जगाकर राज्यों में भाजपा के अश्वमेध यज्ञ में जुटे मोदी की जवाबदेही राज्यों में भाजपा सरकारों की प्रशासनिक चुस्ती को लेकर भी बढ़ गई है।

देश के शीर्ष नौकरशाहों को प्रशासनिक तौर पर कुशल बनाने वाली राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के इस मायने में अहम माना जा रहा है। हालांकि, मसूरी के अपने इस दौरे को मोदी ने दलगत सियासत से पूरी तरह दूर ही रखा है।

यही वजह है कि मसूरी पहुंचने पर भाजपा कार्यकर्ताओं की ओर से अकादमी के रास्ते पर लगाए गए पार्टी झंडों को बाद में हटा लिया गया। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के निर्देशों के बाद ही पार्टी कार्यकर्ताओं को यह कदम उठाना पड़ा।

यही नहीं प्रधानमंत्री मोदी ने अपने स्वागत में उमड़े भाजपा के प्रदेश के शीर्ष नेताओं को जौलीग्रांट एयरपोर्ट तक ही सीमित रखा। जौलीग्रांट से मसूरी और फिर प्रशासनिक अकादमी में उनके दौरे से भाजपा के नेता दूर ही रहे। प्रोटोकाल राज्यमंत्री के रूप में धन सिंह रावत, क्षेत्रीय सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, स्थानीय विधायक गणेश जोशी, मसूरी नगरपालिका अध्यक्ष मनमोहन मल्ल, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष ओपी उनियाल ही मसूरी के पोलो ग्राउंड में प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत को पहुंच सके।

प्रशासनिक अकादमी में मोदी का अंदाज प्रशिक्षु प्रशासनिक अधिकारियों को जनता की अपेक्षाओं के मुताबिक प्रभावी प्रशासन, गुड गवर्नेंस के गुर सिखाने का तो रहा ही, प्रशासनिक प्रशिक्षण के बारे में गहरी जानकारी लेने में रुचि दिखाकर उन्होंने भविष्य की चुनौती के लिए नए नौकरशाहों को साधने का मंत्र भी फूंका। उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों की भाजपा सरकारों के लिए इस मंत्र का मकसद तकरीबन साफ है।

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