उत्तराखंड

छठ महापर्व: अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्घ्य

देहरादून : अस्ताचलगामी सूर्यदेव को महिलाओं ने अर्घ्य दिया। व्रती सिर पर फलों का टोकर लेकर घर से नंगे पांव छठ पूजन स्थल पर पहुंचे। शाम पांच बजे के बाद अस्ताचलगामी सूर्यदेव को अर्घ्य देने का सिलसिला शुरू हो गया था। इस दौरान शहर के विभिन्न घाटों पर सेवा और भक्ति भाव का विराट स्वरूप देखने को मिला।

शुक्रवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्‍य देने के साथ ही छठ व्रत का पारण होगा। छठ पूजा की तैयारी के लिए दिनभर बाजार में भीड़ उमड़ी रही और सुपली, मौसमी फल-सब्जी आदि की खरीदारी होती रही। टपकेश्वर स्थित तमसा नदी घाट समेत शहर में एक दर्जन से भी ज्यादा स्थानों पर छठ पूजा के लिए इंतजाम किए गए हैं।

दोपहर से ही घरों में व्रती महिलाएं गन्ने के रस, दूध, गुड़ व साठी चावल से बनी खीर और घी चुपड़ी रोटी तैयार करने में जुट गई थीं। शाम को व्रतियों ने खीर व रोटी के प्रसाद के साथ मौसमी फल छठी मैया को अर्पित किए और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। फिर सभी ने प्रसाद ग्रहण किया।

इसी के साथ परिवार की श्रेष्ठ महिलाओं के साथ अन्य महिला और पुरुषों ने निर्जला व्रत धारण किया। इस दौरान गूंजते रहे ‘हम करेली छठ बरतिया से उनखे लागी’, ‘चार कोना के पोखरवा’ जैसे गीत। रातभर व्रती अर्घ्‍य की तैयारियों में जुटे रहे। बिहारी महासभा के अध्यक्ष सत्येंद्र कुमार ने बताया कि खरना में पहले छठी मैया की और फिर व्रत रखने वाली महिलाओं की पूजा होती है। खरना के बाद महिलाएं देर रात तक ठेकुआ का प्रसाद तैयार करने में जुटी रहीं। इसे मिट्टी के नए चूल्हे में आम की लकड़ियों पर पकाया जाता है।

अर्घ्‍य का समय

27 अक्टूबर, सुबह 6.24 बजे

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