उत्तराखंड

देहरादून से हरिद्वार व ऋषिकेश के बीच होंगे मेट्रो के 33 स्टेशन

देहरादून : दून मेट्रो रेल परियोजना के तहत उत्तराखंड मेट्रो रेल कार्पोरेशन देहरादून से हरिद्वार व ऋषिकेश के बीच 33 स्टेशन का निर्माण करेगा। ये स्टेशन छोटी-छोटी दूरी पर बनाए जाएंगे, ताकि यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में आसानी हो। इसके साथ ही कार्पोरेशन ने मेट्रो रेल के संचालित होने के बाद रोजाना करीब 1.68 लाख यात्रियों के सफर करने का अनुमान लगाया है।

वैसे तो मेट्रो रेल का संचालन देहरादून आइएसबीटी से हरिद्वार, एफआरआइ से रायपुर, आइएसबीटी से राजपुर कंडोली के साथ ही हरिद्वार से ऋषिकेश के मध्य किया जाना है, लेकिन अब प्रथम चरण में देहरादून आइएसबीटी से राजपुर कंडोली व हरिद्वार से ऋषिकेश तक मेट्रो रेल परियोजना के निर्माण का निर्णय लिया गया है।

कार्पोरेशन के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी के मुताबिक यह मेट्रो रेल के प्रथम चरण के दो कॉरीडोर (गलियारे) में ही इन 33 स्टेशन का निर्माण किया जाएगा। आइएसबीटी से राजपुर के बीच 11 स्टेशन होंगे, जबकि हरिद्वार से ऋषिकेश के मध्यम 22 स्टेशन बनाए जाएंगे। इस तरह प्रथम चरण में परियोजना की कुल लागत भी घट जाएगी। पूरी परियोजना में 26 से 27 हजार करोड़ रुपये का खर्च आ रहा था और अब यह घटकर लगभग 10 हजार करोड़ रुपये पर सिमट जाएगा। प्रबंध निदेशक त्यागी ने बताया कि प्रथम चरण को पूरा करने का समय करीब चार साल रखा गया है।

 

यहां बनेंगे मेट्रो स्टेशन

आइएसबीटी-राजपुर कंडोली कॉरीडोर

शिमला बाईपास रोड (सेवला कलां), आइटीआइ निरंजनपुर, लालपुल, चमनपुरी, पथरीबाग, देहरादून रेलवे स्टेशन, कचहरी के पास, घंटाघर के पास, गांधी रोड, सचिवालय के पास, कंडोली।

 

यात्री सफर का अनुमान, रोजाना करीब 68 हजार 

हरिद्वार-ऋषिकेश कॉरीडोर

हरिद्वार, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय क्षेत्र, भूमानंद हॉस्पिटल के पास, सीतापुर, श्याम नगर, ज्वालापुर, आर्यनगर चौक, चंद्राचार्य चौक, बस स्टैंड, हरिद्वार रेलवे स्टेशन, लालतारो पुल, हरकी पैड़ी, दूधाधारी, शांति कुंज, हरिपुर कलां, रायवाला, नेपाली फार्म, श्यामपुर, बीबीवाला, आइडीपीएल, बापूग्राम, गंगानगर ऋषिकेश।

यात्री सफर का अनुमान, रोजाना करीब 75 हजार से एक लाख

बस के सातवें हिस्से से भी कम ऊर्जा खपत

उत्तराखंड मेट्रो रेल कार्पोरेशन के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी के अनुसार मेट्रो रेल में बसों के मुकाबले सातवें हिस्से तक ऊर्जा की कम खपत होगी। इसके साथ ही यह ग्रीन ट्रांसपोर्ट पर आधारित व्यवस्था है और इसमें कार्बन उत्सर्जन का स्तर अपेक्षाकृत काफी कम रहेगा।

दून में कुछ हिस्सा हो सकता है भूमिगत

वैसे तो मेट्रो रेल का ट्रैक सड़क के बीचों-बीच डिवाइडर वाले भाग पर फ्लाईओवर के रूप में बनाया जाएगा। इसके लिए सड़क पर पिलर बनाए जाएंगे और उसकेऊपर बने ट्रैक पर मेट्रो चलेगी, लेकिन दून की मौजूदा स्थिति को देखते हुए माना जा रहा है कि यहां कुछ हिस्सों में भूमिगत (अंडरग्राउंड) ट्रैक बनाने की जरूरत पड़ सकती है।

 

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