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वाणिज्य मंत्री ने पेरिस में डब्ल्यूटीओ के अनौपचारिक सम्मेलन में भाग लिया

नई दिल्लीः वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने 31 मई, 2018 को पेरिस में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के मंत्रियों के अनौपचारिक सम्मेलन में शिरकत की। डब्ल्यूटीओ के 28 सदस्य देशों और डब्ल्यूटीओ के महानिदेशक ने इस अनौपचारिक सम्मेलन में भाग लिया।

      वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने अपने संबोधन में कहा कि डब्ल्यूटीओ में कामकाज के मार्गदर्शन के लिए अनेक मंत्रिस्तरीय अधिदेश पहले से ही लागू हो चुके हैं और वार्ताकार पिछले कई वर्षों से अनेक मुद्दों पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा अधिदेशों, घोषणापत्रों और निर्णयों के आधार पर कामकाज शुरू किया जाना चाहिए। उन्होंने यह राय व्यक्त की कि मंत्रिस्तरीय अध्यादेशों और अब तक किये गये समस्त कार्यों को नजरअंदाज करना तथा नये सिरे से वार्ताओं को तय करना इस प्रणाली के लिए प्रतिकूल एवं नुकसानदेह साबित होगा।

      उन्होंने विशेष जोर देते हुए कहा कि आगे बढ़ने और इस वर्ष मार्च में नई दिल्ली में मेजबानी किये गये अनौपचारिक सम्मेलन की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए संबंधित प्रक्रिया से राजनीतिक जुड़ाव अत्यन्त जरूरी है। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि नई दिल्ली में आयोजित सम्मेलन में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों की राय यही थी कि अधिक से अधिक जुड़ाव ही एकमात्र उपाय है।

      मंत्री महोदय ने आगाह करते हुए कहा कि वैसे तो कुछ देश बहुपक्षीय चर्चाओं को बहुपक्षीय समझौतों के लिए प्रारंभिक प्रयास मानते हैं, लेकिन इस तरह की पहल इसके ठीक विपरीत बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को कमजोर तथा डब्ल्यूटीओ के समावेशी संस्थागत स्वरूप को खोखला कर सकती है।

      श्री सुरेश प्रभु ने इस ओर ध्यान दिलाया कि ई-कॉमर्स के लिए एक कार्यकलाप कार्यक्रम है जो डब्ल्यूटीओ के भीतर परिचर्चा के लिए एक फोरम उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा कि भारत इसमें काफी सक्रियता से जुटा हुआ है। हालांकि, ई-कॉमर्स के लिए बाध्यकारी बहुपक्षीय नियमों पर विचार-विमर्श करना फिलहाल जल्दबाजी होगी।

डब्ल्यूटीओ का पूर्ण एजेंडा पहले से ही होने का उल्लेख करते हुए श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि भारत को डब्ल्यूटीओ में निवेश संबंधी सुविधा जैसे नये मुद्दे उठाये जाने पर आपत्ति है, क्योंकि कहीं ऐसा न हो कि कृषि और विकास से जुड़े मौलिक मुद्दे उपेक्षित हो जाएं।

      श्री सुरेश प्रभु ने डब्ल्यूटीओ के समक्ष मौजूद विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए आपस में मिलकर तेजी से काम करने पर विशेष जोर दिया। इसका मतलब यही है कि विभिन्न वार्ताओं और प्रक्रियाओं में आम सहमति एवं विकास की केंद्रीयता के आधार पर समावेश या समग्रता एवं निर्णय लेने के बुनियादी सिद्धांतों को बरकरार रखने के साथ-साथ उन्हें सुदृढ़ करना होगा।

      उन्होंने कहा कि व्यापार को निश्चित तौर पर विकास में योगदान करना चाहिए। श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि भारत और कई अन्य विकासशील देशों की सरकारों को ज्यादा व्यापार उदारीकरण एवं वैश्विक एकीकरण की ओर राह में मौजूद चुनौतियों से निपटने को प्राथमिकता देनी होगी। उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि पारस्परिक व्यापार नियमों, जो इस वास्तविकता को नजरअंदाज करते हैं, के लिए डब्ल्यूटीओ में किये जाने वाले किसी भी प्रयास से विभाजन और ज्यादा गहरा हो जाएगा तथा भूमंडलीकरण से मोहभंग बढ़ जाएगा।

      उन्होंने कहा कि बगैर अपवाद के सभी विकासशील देशों और एलडीसी के लिए विशेष एवं पृथक प्रावधान डब्ल्यूटीओ समझौतों का अभिन्न अंग है और भावी समझौतों में भी इस सिद्धांत का अवश्य संरक्षण किया जाना चाहिए।

      श्री सुरेश प्रभु ने यह बात रेखांकित की कि डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान इकाई इस प्रणाली के लिए सुरक्षा और पूर्वानुमान सुनिश्चित करने की दृष्टि से केन्द्रीय स्तंभ है। उन्होंने सदस्य देशों से अपीलीय निकाय में रिक्तियां भरने के लिए चयन प्रक्रिया शुरू करने का अनुरोध किया।

      मंत्री महोदय ने एकतरफा व्यापार उपायों और प्रस्तावित प्रतिक्रियात्मक कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस तरह के कदम एवं उस पर तीखी प्रतिक्रिया से वैश्विक अर्थव्यवस्था में धीमी गति से हो रहा विकास थम जाएगा और इसका प्रतिकूल असर रोजगारों, जीडीपी वृद्धि एवं विकास पर पड़ेगा, जिससे हर कोई प्रभावित होगा और इसके साथ ही कड़ी मेहनत से तैयार की गई नियम आधारित बहुपक्षीय प्रणाली पर भी आने वाले वर्षों में अपरिवर्तनीय ढंग से आंच आ सकती है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूटीओ के प्रावधानों में किसी भी अपर्याप्तता से निपटने के लिए इस तरह के कदमों का उपयोग करने के बजाय डब्ल्यूटीओ के अंदर ही रहकर इस तरह के मुद्दों से निपटना बेहतर साबित होगा।

      अपने संबोधन को समाप्त करते हुए श्री सुरेश प्रभु ने यह राय व्यक्त की कि राजनीतिक स्तर पर इस तरह के अनौपचारिक सम्मेलन के आयोजन से विभिन्न मुद्दों एवं चिन्ताओं की पारस्परिक समझ को और अधिक बढ़ाने तथा आगे बढ़ने के रास्ते ढूंढ़ने में काफी मदद मिल सकती है।

      अपनी पेरिस यात्रा के दौरान वाणिज्य मंत्री ने ऑस्ट्रेलिया के व्यापार,पर्यटन एवं निवेश मंत्री और यूरोपीय संघ के व्यापार आयुक्त के साथ भी बैठकें कीं जिस दौरान विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों और फिलहाल जारी व्यापार वार्ताओं पर विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने डब्ल्यूटीओ के महानिदेशक के साथ भी बैठक की और विभिन्न एकतरफा व्यापारिक कदमों एवं इन पर प्रतिक्रियास्वरूप उठाए गये कदमों से उत्पन्न वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय स्थिति तथा डब्ल्यूटीओ के समक्ष मौजूद चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया।

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