उत्तराखंड

स्वच्छ भारत अभियान को ‘हम’ ही लगा रहे पलीता

रानीखेत : पर्यटक नगरी का दर्जा। पहचान एशिया का दूसरा एतिहासिक गोल्फ ग्राउंड। मगर सैलानियों की नगरी से मिश्रित वनों के बीच नैसर्गिक सौंदर्य का आनंद लेते पर्यटक घिंघारीखाल पहुंचते हैं तो दुर्गध सांस लेना दूभर कर देती है। खुला ट्रंचिंग ग्राउंड गर्मी के इस सीजन में बीमारियों का न्यौता दे रहा। कुछ आगे बढ़ने पर थोड़ी राहत लेकिन गोल्फ मैदान में कदम रखने से पहले जहां तहां फैला कूड़ा कचरा उसकी खूबसूरती पर बदनुमा दाग लगा रहा।

इसे लोगों की संवेदनहीनता कहें या कैंट बोर्ड की ढिलाई। पर्यटक नगरी में जोरशोर से चल रहा स्वच्छ भारत अभियान का अब जैसे दम ही फूलने लगा है। नगरीय क्षेत्र से इतर आसपास के पिकनिक स्पॉट को ही लें तो जगह जगह कूड़ा कचरा खूबसूरत रानीखेत की छवि पर बट्टा लगा रहा। नगर से कुछ ही दूर घिंघारीखाल में जैविक व अजैविक कचरे के निस्तारण को कैंट बोर्ड की ओर से ट्रंचिंग ग्राउंड में मशीनें तो लगाई हैं पर सढ़ांध से सैलानी बेहाल रहता है। यही वजह है, पर्यटक अब इस जगह कम ही रुकता है। जबकि पहले घिंघारीखाल की पकौड़ी व रायता का स्वाद जरूर लेता था।

यहां से आगे एतिहासिक गोल्फ ग्राउंड की ओर बढ़ें तो कंटेनर रखे होने के बावजूद उसके इर्दगिर्द फैला कचरा स्वच्छ भारत अभियान को जैसे मुंह चिढ़ाता है। इसे विडंबना ही कहेंगे कि सैलानियों का पसंदीदा गोल्फ ग्राउंड अलग ही छटा बिखेरता है। जबकि उस पर कदम रखने से पहले कूड़े कचरे से बचते बचाते सैलानियों के कदम बहुत कुछ नसीहत भी दे जाते हैं।

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पर्यटकों की नासमझी भी बड़ा कारण

गोल्फ ग्राउंड के शुरूआती छोर पर कंटेनर से बाहर फैले कचरे के लिए वहां पहुंचने वाले सैलानियों की संवेदनहीनता भी कम जिम्मेदार नहीं। सब कुछ जानने के बावजूद डिस्पोजल गिलास, बिसलरी की खाली बोतलें, नमकनी व चिप्स आदि के प्लास्टिक कवर वगैरह सब ग्राउंड के कोने में फेंक दिए जाते हैं। रही सही कसर कैंट बोर्ड की ढिलाई ने कचरे को साफ न कर पूरी कर दी है।

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‘गोल्फ ग्राउंड के पास नया कंटेनर लगवा रहे हैं। पुराना टूट चुका है। फिर भी लोगों को कूड़ा उसी में डालना चाहिए। नियमित सफाई करा रहे हैं लेकिन वहां आने जाने वाले बाहर ही कूड़ा फैला देते हैं। घिंघारीखाल में ट्रंचिंग ग्राउंड में मशीन में कूचरा डालते वक्त सढ़ांध आती है। लेकिन वहां कूड़े का सही निस्तारण किया जा रहा है।

संपादक कविन्द्र पयाल

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