जीवनशैली

क्या आपके शरीर में चुपचाप बढ़ रहा है कैंसर का खतरा?

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और अनहेल्दी लाइफस्टाइल के चलते कैंसर का खतरा (Cancer Risk) लगातार बढ़ता जा रहा है। बता दें प्रदूषण गलत खान-पान तनाव और फिजिकल एक्टिविटी की कमी जैसे सभी फैक्टर्स हमारे शरीर को अंदर से कमजोर कर रहे हैं। ऐसे में डॉक्टर का कहना है कि हर महिला को साल में एक बार 5 टेस्ट जरूर करवा लेने चाहिए।

क्या आप जानते हैं कि कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो अक्सर चुपचाप हमारे शरीर में पनपती रहती है, और जब तक लक्षण दिखते हैं, तब तक देर हो चुकी होती है? यह बात डराने वाली लग सकती है, लेकिन इससे बचने के तरीके भी हैं। हाल ही में एक डॉक्टर तरंग कृष्णा ने खुलासा किया है कि कैसे कुछ खास टेस्ट हमें कैंसर के शुरुआती संकेतों (Silent Cancer Symptoms) को पहचानने में मदद कर सकते हैं, जिससे समय रहते इलाज संभव हो सके।

कैंसर को पकड़ने के लिए कराएं 5 टेस्ट
दरअसल, कुछ खास ‘ट्यूमर मार्कर’ टेस्ट होते हैं जो शरीर में कैंसर सेल्स की मौजूदगी का संकेत दे सकते हैं। ध्यान रहे, ये टेस्ट किसी भी कैंसर का सही डायग्नोज नहीं हैं, लेकिन ये एक चेतावनी संकेत जरूर देते हैं कि आपको आगे और टेस्ट की जरूरत है या नहीं। हालांकि, 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को और खासकर जिनकी फैमिली में कैंसर की हिस्ट्री रही है, उन्हें साल में कम से कम साल में एक बार ये 5 टेस्ट जरूर करवाने चाहिए।

CA-125 (सीए-125): यह टेस्ट मुख्य रूप से महिलाओं में ओवेरियन कैंसर का पता लगाने में मदद करता है। इसके अलावा, यह पैंक्रियाटिक, ब्रेस्ट और फेफड़ों के कैंसर में भी बढ़ सकता है।
CEA (सीईए – कार्सिनोएम्ब्रियोनिक एंटीजन): यह टेस्ट आमतौर पर पेट, फेफड़े, ब्रेस्ट, पैंक्रियाटिक और थायराइड कैंसर जैसे कई टाइप के कैंसर में बढ़ा हुआ पाया जा सकता है।
CA-15.3 (सीए-15.3): यह टेस्ट विशेष रूप से ब्रेस्ट कैंसर के लिए एक जरूरी मार्कर है। इसके अलावा, यह कैंसर के इलाज की प्रतिक्रिया की निगरानी और पुनरावृत्ति (Recurrence) का पता लगाने में मददगार होता है।
CA-72.4 (सीए-72.4): यह टेस्ट मुख्य रूप से गैस्ट्रिक (पेट) कैंसर और कुछ डिम्बग्रंथि कैंसर का पता लगाने में मददगार होता है।
CA-19.9 (सीए-19.9): यह मार्कर खासतौर से पैंक्रियाटिक कैंसर, पित्त नली के कैंसर और कुछ गैस्ट्रिक कैंसर में बढ़ा हुआ पाया जाता है।

ये सिर्फ मार्कर हैं, डायग्नोज नहीं
यह समझना बहुत जरूरी है कि इन टेस्ट्स में अगर वैल्यू बढ़ी हुई आती है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपको निश्चित रूप से कैंसर है। कई नॉन-कैंसर सिचुएशंस जैसे सूजन, इन्फेक्शन्स या कुछ अन्य बीमारियां भी इन मार्करों के स्तर को बढ़ा सकती हैं। हालांकि, अगर ये स्तर असामान्य रूप से ज्यादा हैं, तो यह आगे के टेस्ट्स, जैसे बायोप्सी या इमेजिंग टेस्ट, की जरूरत का संकेत देता है।

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