उत्तराखंड

अब एम्स में इलाज कराना अब गरीबों की पहुंच से बाहर

ऋषिकेश : विश्वस्तरीय चिकित्सा संस्थान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में अब इलाज कराना अब आम आदमी की पहुंच से बाहर हो चुका है। एम्स की ओर से जारी किए गए नये शुल्क के मुताबिक अब यहां इलाज के लिए प्राइवेट अस्पतालों की तरह ही मोटी रकम खर्च करनी होगी। एम्स प्रशासन ने यह शुल्क वृद्धि सीजीएचएस (सेंट्रल गवर्नमेंट हैल्थ स्कीम) के आधार पर की है। सीजीएचएस वह दर है जिसे केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को प्राईवेट, निजी व कॉरपोरेट अस्पतालों में इलाज कराने के लिये अनुदान में देती है।

एम्स ऋषिकेश में सस्ते इलाज की आस लगाए बैठे आम आदमी को यह खबर चिंता में डाल सकती है। एम्स में अब गरीब व मध्यम वर्ग का इलाज कम खर्च पर संभव नहीं हो सकेगा। एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रो. डॉ. रविकांत द्वारा नए शुल्क का सर्कुलर जारी कर दिया गया है और यह शुल्क पांच अक्टूबर से लागू भी हो चुके हैं। जारी सर्कुलर के मुताबिक अब सभी मरीजों से सीजीएचएस के तहत प्राईवेट, निजी व कॉरपोरेट अस्पतालों के लिये निर्धारित शुल्क वसूला जायेगा। अब तक एम्स ऋषिकेश में मात्र 10 रुपये के खर्च पर परामर्श, 30 रुपये में भर्ती व 35 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से बेड चार्ज और सभी छोटे-बड़े ऑपरेशन बेहद कम शुल्क पर किये जाते थे। मगर अब यही शुल्क मरीजों को मौजूदा दर से कई गुना अधिक चुकाना होगा। एम्स निदेशक द्वारा इस संबंध में विभिन्न जांच व छोटे-बड़े ऑपरेशन के लिए नौ पेज के सर्कुलर जारी किया है। जिसमें सभी तरह के शुल्क में वृद्धि हुई है। यानी अब प्राइवेट अस्पतालों के समान दरों पर ही एम्स में चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होगी।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत संचालित किये जा रहे हैं, जिसका उद्देश्य सस्ती, विश्वसनीय व उच्चस्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में व्याप्त असमानताओं को दूर करना है। मगर, इस तरह की गयी शुल्क वृद्धि से आम आदमी के लिए उच्चस्तरीय स्वास्थ्य सेवा दूर की कौड़ी ही साबित हो रही है। बड़ी बात यह है कि एम्स दिल्ली में भी अभी तक शुल्क सामान्य ही हैं। हालांकि बताया जा रहा है कि देश में स्थापित हुए सभी नए एम्स में एक तिहाई शुल्क वृद्धि के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा निर्देशित किया गया था। बहरहाल एम्स प्रशासन द्वारा की गयी शुल्क वृद्धि आने वाले समय में मरीजों की संख्या व यहां अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के लिए चुनौती ही सिद्ध होगी।

वहीं एम्स के उपनिदेशक अंशुमान गुप्ता ने बताया कि नए एम्स में आय बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा निर्देश प्राप्त हुए थे। जिसके बाद एम्स प्रशासन द्वारा सीजीएचएस (सेंट्रल गवर्नमेंट हैल्थ स्कीम) के मानकों के अनुरूप यह शुल्क वृद्धि की गयी है। कई मदों में अल्प वृद्धि की गयी है।

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