धर्म/अध्यात्म

सावन 2025: क्यों भूतेश्वर महादेव को कहा जाता है मथुरा का कोतवाल?

मथुरा में स्थित भूतेश्वर महादेव (Bhuteshwar Mahadev) मंदिर भगवान शिव के प्राचीन धामों में से एक है और इसे यहां का कोतवाल माना जाता है। सावन में यहां दर्शन का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने कंस वध के बाद ब्रह्महत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए यहां (Bhuteshwar Mahadev Temple History) शरण ली थी। आइए इससे जुड़े रहस्य जानते हैं।

मथुरा, भगवान कृष्ण की जन्मभूमि, केवल उनके मंदिरों के लिए ही नहीं बल्कि भगवान शिव के सबसे प्राचीन धाम में से एक भूतेश्वर महादेव मंदिर के लिए भी जाना जाता है। इस मंदिर को मथुरा का ‘कोतवाल’ भी कहा जाता है। सावन महीने (Sawan 2025) में इस पवित्र धाम में दर्शन करने का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है, तो आइए इस आर्टिकल में इस मंदिर से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।

क्यों हैं भूतेश्वर महादेव मथुरा के कोतवाल? (Why Is Bhuteshwar Mahadev Called The Kotwal Of Mathura)
मथुरा को भगवान कृष्ण की नगरी कहा जाता है, लेकिन इसकी सुरक्षा का जिम्मा भगवान शिव को सौंपा गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मथुरा के चारों कोनों पर चार महादेव मंदिर स्थित हैं, जो नगर की रक्षा करते हैं। इनमें से भूतेश्वर महादेव (Bhuteshwar Mahadev Temple History) को मथुरा का मुख्य कोतवाल माना जाता है। कहा जाता है कि जब भगवान कृष्ण ने कंस का वध किया था, तब उन्हें ब्रह्महत्या का दोष लगा था। इस दोष से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने भूतेश्वर महादेव की शरण ली थी।

भगवान शिव ने उन्हें इस दोष से मुक्त किया और तब से भूतेश्वर महादेव को मथुरा के अधिपति के रूप में जाना जाने लगा। ऐसी मान्यता है कि मथुरा में प्रवेश करने से पहले भूतेश्वर महादेव के दर्शन करना जरूरी होता है, वरना यात्रा सफल नहीं मानी जाती है।

सावन में भूतेश्वर महादेव के दर्शन का महत्व ( Bhuteshwar Mahadev Darshan Significance In Sawan)
सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। इस दौरान भगवान शिव धरती पर वास करते हैं और अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करते हैं। सावन के सोमवार पर भूतेश्वर महादेव के दर्शन और अभिषेक का विशेष महत्व है। ऐसे में इस धाम में दर्शन के लिए जरूर जाएं। ताकि भोलेनाथ आपके सभी कष्टों को दूर करें। मान्यता ये भी है कि सावन में भूतेश्वर महादेव के दर्शन से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है।

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