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क्रिकेटर एकता की राह में थे कर्इ कांटे, हटाते हुए बनाती गर्इ रास्ता

देहरादून : लगातार दो वर्ल्ड कप खेल चुकीं अल्मोड़ा की एकता बिष्ट आज इंडियन टीम की नियमित सदस्य हैं। वर्ल्ड कप में इंग्लैंड में पाकिस्तान के खिलाफ पांच विकेट लेकर भारत की जीत में अहम भूमिका निभाने वाली एकता वेस्टंडीज में होने वाले टी-ट्वेंटी वर्ल्ड कप खेलना चाहती हैं।

अल्मोड़ा जैसे छोटे से पहाड़ी क्षेत्र से निकली एकता बिष्ट आज उन लड़कियों के लिए मिसाल है जो यह सोचती हैं कि सफलता के लिए संसाधनों का होना जरूरी है। अल्मोड़ा के खजांची मोहल्ले से भारतीय टीम तक का सफर तय करने वाली एकता का कहना है कि अल्मोड़ा में क्रिकेट ग्राउंड नहीं हैं। यहां मल्टीपर्पज ग्राउंड हैं। टर्फ विकेट नहीं है। हम लोग जब देश से बाहर जाते हैं तो हमें अलग-अलग विकेट मिलती हैं। जब वह कानपुर खेलने गई तब उन्हें पता चला कि ग्राउंड में क्या-क्या दिक्कत आती है।

उन्होंने बताया कि उनके कोच लियाकत अली ने ही उन्हें इंस्पायर किया। एकता कहती हैं कि जब वह खेलती थीं तो बहुत से कमेंट आते थे और वह नैचुरल भी है। पर यदि हम उनको पॉजीटिव लेते हैं तो यह हमारे लिए प्रेरणा बन जाते हैं। घर वालों ने हमेशा ही मेरा साथ दिया। अपनी स्पिन बॉलिंग से विरोधियों को घुमाने वाली एकता बताती हैं कि 2013 में जब पहला वर्लड कप खेलने गई तो वह इंडियन टीम में नई थी। इतने बड़े टूर्नामेंट में खेलने का कोई एक्सपीरियंस भी नहीं था। पर इस बार का वर्ल्ड कप कुछ अलग था, वह अनुभवी खिलाड़ियों में शामिल थी। इससे पहले उन्होंने कई सीरीज खेलीं, क्वालीफाइंग मैच खेले तो उन्हे कोई समस्या ही नहीं थी। एकता कहती हैं कि कोच लियाकत अली ने मुझे हर चीज में सपोर्ट किया है।

पाकिस्तान के खिलाफ खेलना होता है स्पेशल 

वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ पांच विकेट चटकाने वाली एकता कहती हैं कि पाक के खिलाफ गेंदबाजी करना हमेशा से ही स्पेशल होता है। पुरुष टीम हो या फिर महिला, यहां दोनों के ऊपर ही प्रेशर भी होता है और जिम्मेदारी भी। पर जब हम मैदान के अंदर जाते हैं तो वह पाकिस्तान की टीम नहीं, बल्कि सिर्फ एक टीम होती है। जिसके खिलाफ हमे बेहतर खेलकर जीतना होता है।

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