उत्तर प्रदेश

आगरा लाया गया करोड़ों का घपला करने वाला मिनी ‘विजय माल्या’

आगरा  देश के दस शीर्ष विलफुल डिफॉल्टरों में शामिल मुंबई के मिनी माल्या के नाम से चर्चित कैलाश श्रीराम अग्रवाल को मुंबई पुलिस मंगलवार को आगरा लेकर आई। उसे एक फाइनेंस कंपनी से करोड़ों की धोखाधड़ी के मामले में सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया। कैलाश अग्रवाल पर विभिन्न बैंकों, कंपनियों और निवेशकों के ढाई हजार करोड़ रुपये हड़पने का आरोप है।

मुंबई के मेसर्स वरुण इंडस्ट्रीज लिमिटेड के निदेशक कैलाश श्रीराम अग्रवाल ने वर्ष 2011 में संजय प्लेस स्थित एसई इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस कंपनी से करोड़ों रुपये का ऋण लिया था। बदले में अपनी कंपनी के शेयर रखे थे। ऋृण की किश्त न चुकाने पर एसई इन्वेस्टमेंट के महेश कुमार दीक्षित ने जुलाई 2014 में हरीपर्वत थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें कैलाश, किरन कुमार, नवरतनमल मेहता, वरुण किरन कुमार आदि को नामजद किया था।

सीबीआइ ने इसी साल अगस्त में उसे गिरफ्तार किया था। उसे मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में रखा गया है। यहां दर्ज मुकदमे में पेशी के लिए उसे मुंबई पुलिस ने सीजेएम कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने कैलाश को तीन अक्टूबर को फिर पेश करने के आदेश दिए हैं।

शेयरों की फर्जी कीमत दर्शाकर लिया था लोन: एसई इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस के मुताबिक कैलाश श्रीराम अग्रवाल ने अपने जिन शेयरों को बंधक रखा था, उनकी कीमत 250 रुपये दर्शाई थी। बाद में कंपनी ने छानबीन की, तो शेयरों की वास्तविक कीमत 25 से 30 रुपये ही पाई गई।

पूर्व शीर्ष बैंक अधिकारियों को दिए कंपनी में पद: एसई इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस कंपनी द्वारा दर्ज कराए मुकदमे के अनुसार कैलाश अग्रवाल ने लोगों का भरोसा जीतने के लिए साजिश रची। उसने देश के विभिन्न बैंकों के उच्च पदों पर रहे पूर्व अधिकारियों को अपनी कंपनी में पद दिए, ताकि कंपनी के निवेशकों का विश्वास जीता जा सके। उन अधिकारियों के प्रभाव का इस्तेमाल कर बैंकों से कई सौ करोड़ रुपये ऋण ले लिया।

बैंक एसोसिएशन ने जारी की थी डिफॉल्टरों की सूची: आॅल इंडिया बैंक एम्प्लॉयज एसोसिएशन ने डिफॉल्टरों की सूची जारी की थी। इसमें कैलाश की कंपनी मेसर्स वरुण इंडस्ट्रीज लिमिटेड को करीब 1200 करोड़ रुपये का डिफॉल्टर बताया था। ऋण देने वाली एसई इन्वेस्टमेंट के मुताबिक वर्ष 2013 की तिमाही के नतीजों में कैलाश की कंपनी ने शुद्ध लाभ 138 करोड़ दिखाया, जबकि वास्तव में कंपनी को 22 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

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