उत्तर प्रदेश

निजीकरण के विरोध में पूरे यूपी के बिजली कर्मचारी आज उतरेंगे सड़क पर

यूपी के बिजली कर्मचारी निजीकरण के मुद्दे अब आर-पार के मूड में हैं। इसके लिए बुधवार को रैली निकाली गई। आज यूपी सहित पूरे देश में बिजली कर्मचारी सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे। बृहस्पतिवार को निजीकरण के साथ ही इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025, श्रम कानून के विरोध में देशभर के बिजली कर्मी विरोध प्रदर्शन करेंगे।

बिजली कर्मियों ने बुधवार को सभी जिलों में विरोध प्रदर्शन करते हुए निजीकरण से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी। संयुक्त किसान मोर्चा तथा ऑल इंडिया ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त रूप से रैली निकाल कर निजीकरण और श्रम कानूनों को मजदूर विरोधी बताते हुए इसका विरोध किया। परिवर्तन चौक पर निकली रैली में बिजली कर्मी, किसान और मजदूर शामिल रहे। रैली के दौरान निजीकरण प्रस्ताव रद्द करें, इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 वापस लेने, स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाना बंद करने, किसानों को एमएसपी की गारंटी देने की मांग की गई।

संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया ने बताया कि निजीकरण के विरोध में 27 नवंबर को देशभर में बिजली कर्मी सड़क पर उतरेंगे। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर होने वाले इस प्रदर्शन में सभी प्रान्तों के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर हिस्सा लेंगे।

बिजली कंपनियों की हालत खराब होने से नहीं हो सकी दरों में कमी
विद्युत नियामक आयोग ने टैरिफ आदेश में स्पष्ट किया है कि निगमों पर उपभोक्ताओं का इस वर्ष भी 18592 करोड़ सरप्लस निकल रहा है, लेकिन बिजली कंपनियों की हालत खराब है। ऐसे में बिजली दरें कम नहीं की जा सकती है।

प्रदेश में विद्युत उपभोक्ता परिषद की ओर से निगमों पर उपभोक्ताओं के 33122 करोड़ सरप्लस के एवज में बिजली दरें कम करने की मांग की जा रही है। इस वर्ष भी 18592 करोड़ रुपये का सरप्लस है। ऐसे में कुल करीब 51 हजार करोड़ रुपये सरप्लस है। ऐसे में करीब 13 फीसदी बिजली दरें कम करने की मांग की गई। जबकि पाॅवर कार्पोरेशन ने घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 45% और औसत 28% वृद्धि का प्रस्ताव आयोग को भेजा।

ऐसे में विद्युत नियामक आयोग ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि बिजली कंपनियों की खराब वित्तीय स्थिति की वजह से इस वर्ष बिजली दरों में कमी नहीं की जा सकी है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता परिषद के 90% आंकड़े आयोग ने स्वीकार कर लिए, जबकि करोड़ों रुपये लेकर पाॅवर कार्पोरेशन के लिए तैयार किए गए कंसलटेंट के आंकड़ों को पूरी तरह खारिज कर दिया गया।

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