खराब नींद दिमाग को कर रही है समय से पहले बूढ़ा

हम अपनी जिंदगी का लगभग एक तिहाई हिस्सा सोने में बिताते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह हमारे दिमाग के लिए कितना जरूरी है? नींद सिर्फ आराम करने का समय नहीं है, बल्कि यह हमारे शरीर को ठीक करने और दिमाग को स्वस्थ रखने का एक बहुत ही जरूरी हिस्सा है। जब हमारी नींद पूरी नहीं होती, तो इसका असर हमारे दिमाग पर धीरे-धीरे दिखने लगता है।
हाल ही में हुए एक बड़े अध्ययन में, यूके के 27,000 से भी ज्यादा लोगों की नींद की आदतों और उनके दिमाग के एमआरआई स्कैन का विश्लेषण किया गया। इस अध्ययन में पता चला कि जिन लोगों की नींद खराब थी, उनका दिमाग उनकी असली उम्र से ज़्यादा बूढ़ा दिख रहा था।
शरीर का रीसेट बटन है नींद
हम अपने जीवन का लगभग एक तिहाई हिस्सा सोने में बिताते हैं। यह सुनने में भले ही ज्यादा लगे, लेकिन नींद शरीर और दिमाग दोनों के लिए उतनी ही जरूरी है जितनी सांस लेना या खाना। नींद के दौरान हमारा शरीर खुद को रिपेयर करता है और मस्तिष्क दिनभर की जानकारी को व्यवस्थित करता है, लेकिन जब नींद में बार-बार खलल पड़ता है, तो इसका असर मस्तिष्क पर गहराई से होता है।
27 हजार लोगों पर हुआ अध्ययन
यूके में किए गए एक बड़े शोध में 40 से 70 वर्ष की उम्र के 27,000 से अधिक लोगों के नींद के पैटर्न और मस्तिष्क के एमआरआई स्कैन का अध्ययन किया गया। नतीजों ने चौंका दिया- जिन लोगों की नींद की गुणवत्ता खराब थी, उनके दिमाग की उम्र उनकी असली उम्र से कहीं अधिक पाई गई। यानि, खराब नींद मस्तिष्क को समय से पहले बूढ़ा बना सकती है।
कैसा होता है ‘मस्तिष्क का बूढ़ा होना’?
जैसे शरीर की उम्र बढ़ने के साथ झुर्रियां पड़ती हैं, वैसे ही दिमाग में भी उम्र के साथ बदलाव आते हैं। परंतु हर किसी का दिमाग एक ही गति से नहीं बूढ़ा होता। नई तकनीकों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से वैज्ञानिक अब मस्तिष्क की “जैविक आयु” का अनुमान लगा सकते हैं। इसमें देखा जाता है कि मस्तिष्क ऊतकों का घनत्व कितना है, कॉर्टेक्स कितना पतला हुआ है और रक्त वाहिकाएं कितनी स्वस्थ हैं।
कैसे मापी गई मस्तिष्क की उम्र?
इस अध्ययन में 1,000 से अधिक एमआरआई संकेतों (इमेजिंग मार्कर) का विश्लेषण किया गया। मशीन लर्निंग मॉडल को उन लोगों के डेटा पर प्रशिक्षित किया गया जिनकी तबीयत पूरी तरह ठीक थी। जब इन परिणामों की तुलना बाकी प्रतिभागियों से की गई, तो पता चला कि खराब नींद वाले लोगों में मस्तिष्क की उम्र अधिक थी।
ऐसा मस्तिष्क उम्र बढ़ने की प्राकृतिक प्रक्रिया से तेजी से गुजरता है, जिससे भविष्य में संज्ञानात्मक क्षमता में कमी, डिमेंशिया और यहां तक कि असमय मृत्यु का खतरा बढ़ सकता है।
नींद के पांच पहलुओं का विश्लेषण
नींद सिर्फ घंटों का खेल नहीं है। शोध में नींद के पांच पहलुओं पर ध्यान दिया गया:
व्यक्ति का क्रोनोटाइप (वह ‘सुबह का’ है या ‘रात का’)
औसतन कितने घंटे की नींद लेता है (7–8 घंटे आदर्श माने गए)
अनिद्रा की समस्या
खर्राटे लेना
दिन में अत्यधिक नींद या थकान महसूस करना
इन सभी कारकों को जोड़कर “स्वस्थ नींद स्कोर” बनाया गया। जिनके चार या पांच पहलू स्वस्थ थे, उनकी नींद सबसे अच्छी पाई गई। वहीं जिनके पास एक या दो स्वस्थ नींद लक्षण थे, उनमें मस्तिष्क की उम्र सबसे अधिक बढ़ी हुई दिखी।
सूजन और मस्तिष्क उम्र का संबंध
रिसर्चर्स ने प्रतिभागियों के खून के नमूनों से यह भी पाया कि शरीर में सूजन का स्तर नींद की गुणवत्ता से गहराई से जुड़ा है।
दरअसल, खराब नींद शरीर में सूजन को बढ़ाती है, और यही सूजन मस्तिष्क की उम्र बढ़ाने की प्रक्रिया का लगभग 10% हिस्सा बनती है।
कैसे सुधारें अपनी नींद?
वैज्ञानिकों के अनुसार, कुछ सरल आदतें आपकी नींद की गुणवत्ता को बहुत बेहतर बना सकती हैं:
सोने से पहले कैफीन, शराब या मोबाइल स्क्रीन से दूरी रखें
अंधेरा और शांत वातावरण तैयार करें
हर दिन एक ही समय पर सोने और उठने की आदत डालें
इन छोटे बदलावों से न सिर्फ नींद सुधरेगी, बल्कि आपका दिमाग भी लंबे समय तक जवान और सक्रिय बना रहेगा।