यूएनएससी में भारत ने दोहराया संकल्प

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की समुद्री सुरक्षा पर उच्च स्तरीय बहस में भारत ने एक बार फिर ‘स्वतंत्र, खुली और नियम-आधारित’ समुद्री व्यवस्था को बढ़ावा देने के अपने संकल्प को दोहराया। विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने सोमवार को इस बहस में भारत का पक्ष रखते हुए कहा कि समुद्री सुरक्षा एक साझा चुनौती है, जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (यूएनसीएलओएस) के सिद्धांतों के अनुसार समुद्री व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। समुद्री मार्गों के जरिए वैश्विक व्यापार, ऊर्जा आपूर्ति और संचार जैसे अहम क्षेत्र जुड़े हैं, इसलिए इस क्षेत्र में भारत की भी बड़ी भूमिका और जिम्मेदारी है।
समुद्री सुरक्षा जैसे मुद्दे भारत के लिए महत्वपूर्ण
तन्मय लाल ने बताया कि भारत के पास 11,000 किमी से अधिक लंबा समुद्री तट और लगभग 1,300 द्वीप हैं, साथ ही 2.3 मिलियन वर्ग किमी का विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) भी है। ऐसे में समुद्री सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और पर्यावरणीय संतुलन भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण मुद्दे हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समुद्री सुरक्षा नीति ‘महासागर’ का भी जिक्र किया, जिसका मतलब है सभी क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति। इसके तहत क्षेत्रीय सहयोग, पारदर्शिता और सुरक्षा को बढ़ावा दिया जाता है।
भारत द्वारा शुरू की गई समुद्री पहल के बारे में दी जानकारी
तन्मय लाल ने आगे बताया कि भारत ने पहले से ही समुद्री क्षेत्र में कई अहम पहलें शुरू की हैं। इसमें आईएफसी-आईओआर यानी इंफॉर्मेशन फ्यूजन सेंटर- इंडियन ओशन रीजन शामिल है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी और सूचना साझा करने का काम करता है। इसके अलावा, ई-समुद्र नाम का एक डिजिटल प्लेटफॉर्म जल्द शुरू होगा, जो समुद्री गतिविधियों की रीयल टाइम निगरानी और पारदर्शी प्रशासन में मदद करेगा।
इसके साथ उन्होंने बताय कि भारत ने हाल ही में समुद्र प्रचेत नामक एक स्वदेशी प्रदूषण नियंत्रण पोत भी लॉन्च किया है, जो समुद्री पर्यावरण की रक्षा करेगा। साथ ही, आईओएस सागर और गहरे महासागर मिशन जैसी योजनाएं समुद्री विज्ञान, सुरक्षा और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई हैं। ये सभी पहलें भारत के समुद्री क्षेत्र को सुरक्षित, स्वच्छ और मजबूत बनाने की दिशा में अहम कदम हैं।
भारतीय नौसेना को लेकर भी बोले तन्मय लाल
साथ ही तन्मय लाल ने बताया कि भारतीय नौसेना न केवल सुरक्षा, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं में राहत और मानवीय सहायता के काम में भी सबसे पहले सक्रिय रहती है। भारत विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण के देशों के साथ समुद्री सहयोग को मजबूत कर रहा है। अंत में उन्होंने कहा कि भारत की समुद्री सुरक्षा नीति पांच मुख्य सिद्धांतों पर आधारित है, जैसे कि वैध समुद्री व्यापार का स्वतंत्र प्रवाह, विवादों का शांतिपूर्ण समाधान, आपदाओं और गैर-पारंपरिक खतरों का सामूहिक उत्तर, समुद्री पर्यावरण की रक्षा और जिम्मेदार समुद्री संपर्क को बढ़ावा देना।