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दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी

एक संसदीय समिति हाई कोर्ट में न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता बनाने पर चर्चा करने के लिए तैयार है, जबकि सरकार दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है।

लिहाजा कर्मचारी, जन शिकायतें, कानून और न्याय संबंधी मामलों पर एक संसदीय स्थायी समिति मंगलवार को एक बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा करेगी और जजों की सेवानिवृत्ति के बाद के कार्यों पर भी विचार करेगी।

रखी जा रही है निगरानी
जस्टिस वर्मा की राष्ट्रीय राजधानी स्थित आवास से बिना हिसाब-किताब के नकद की वसूली को लेकर उन पर निगरानी रखी जा रही है। समिति सचिवालय की ओर से भेजे गए एक नोटिस में समिति के सदस्यों को सूचित कर बताया गया है, “समिति न्याय मंत्रालय के सचिव से ‘न्यायिक प्रक्रियाएं और उनके सुधार’ विषय पर सुनवाई करेगी, जो हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता से संबंधित मुद्दों और न्यायाधीशों द्वारा सेवानिवृत्ति के बाद के कार्यों को उठाने के संबंध में है।”

राज्यसभा की समिति की अध्यक्षता भाजपा सांसद ब्रिजलाल कर रहे हैं, जिसमें भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जो एक नामित सांसद हैं, पूर्व कानून राज्य मंत्री पी.पी. चौधरी, तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुखेंदु शेखर राय और कल्याण बनर्जी, कांग्रेस के विवेक टंका और द्रमुक केपी विल्सन और ए. राजा जैसे प्रमुख सदस्य शामिल हैं।

महाभियोग की है संभावना
जबकि जस्टिस वर्मा के महाभियोग की संभावना है। विपक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ भी इसी कार्रवाई के लिए पहले ही नोटिस दिया है। नकद वसूली के बाद जस्टिस वर्मा को उनके मूल न्यायालय, इलाहाबाद हाई कोर्ट में वापस भेज दिया गया।

आरोपों से किया इनकार
उन्होंने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार किया है। राज्यसभा सचिवालय उन सांसदों के हस्ताक्षरों की भी जांच कर रहा है जिन्होंने जस्टिस यादव के खिलाफ कथित नफरत भरे भाषण के लिए महाभियोग नोटिस पर हस्ताक्षर किए थे। सचिवालय ने पहले ही सांसदों को उनके हस्ताक्षरों की पुष्टि करने के लिए लिखा है।

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