उत्तराखंड

कल ही जन्माष्टमी व्रत और पूजन, राशियों के अनुसार ऐसे लगाएं भोग

देहरादून : जन्माष्टमी की तैयारियां द्रोणनगरी में चरम पर हैं। कुछ मंदिरों में 14 अगस्त तो कुछ में 15 अगस्त को जन्माष्टमी महोत्सव मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो गृहस्थों के लिए 14 को ही जन्माष्टमी व्रत और पूजन करना श्रेष्ठ है।

आचार्य सुशांत राज ने बताया कि सोमवार को शाम 7:45 बजे से अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी, जो अगले दिन मंगलवार को शाम 5:39 बजे तक रहेगी। इसके बाद रोहिणी नक्षत्र भी समाप्त हो जाएगा। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र में रात्रि 12 बजे हुआ था। इसलिए सोमवार को ही व्रत और पूजन करना चाहिए। वहीं, वैष्णव संप्रदाय के लोग उदयकाल अष्टमी में जन्माष्टमी मनाते हैं और वह 15 अगस्त को व्रत करेंगे।

राशियों के अनुसार श्रृंगार और भोग

आचार्य संतोष खंडूड़ी के अनुसार मेष और वृश्चिक राशि के लोगसिंदूरी वस्त्र से भगवान कृष्ण का श्रृंगार करें और गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाए। वृषभ और तुला, सफेद वस्त्र से श्रृंगार करें और माखन-मिश्री का भोग लगाएं, मिथुन और कन्या, हरे वस्त्र से भगवान कृष्ण का श्रृंगार करें और मक्खन का भोग लगाएं। कर्क राशि, गुलाबी मोती से श्रृंगार करें और काजू का भोग लगाएं। सिंह, मेहरून वस्त्र धारण कराएं और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। धनु एवं मीन, पीले वस्त्र से श्रृंगार करें और इसी रंग की मिठाई अर्पित करें। मकर एवं कुंभ, नीले रंग का वस्त्र पहनाएं और बेसन से बनी मिठाई व नमकीन का भोग लगाएं।

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