जीवनशैली

प्राणायाम जीवन ऊर्जा का स्रोत है. हमारा सारा शरीर ऊर्जाओं का संगम है.

यह ऊर्जा जीवन को संचालित करती है और इसके अभाव में जीवन भी नष्ट हो जाता है. इस बात से वैज्ञानिक भी सहमत हैं कि हमारा शरीर ऊर्जा का संकलित रूप है. जिस प्रकार परमाणु बम में ऊर्जा के परमाणु होते हैं और जिसके हरेक परमाणु में भयंकर विस्फोट की संभावना छिपी रहती है, उसी प्रकार हमारे शरीर में ऊर्जा का महासागर लहराता रहता है. यह कल्पना करने की बात है कि अगर एक परमाणु इतना बड़ा विध्वंस कर सकता है, तो जहां करोड़ों ऊर्जाएं एक साथ संग्रहित हों, उसकी कितनी बड़ी संभावना हो सकती है.

प्राणवायु को ही हम वैज्ञानिक भाषा में ऊर्जा कहते है. यह ऊर्जा परमात्मा ने जन्मकाल से ही हमारे शरीर में एकत्र कर रखा है. हमारे शरीर की ऐसा वैज्ञानिक व्यवस्था है कि शरीर की ऊर्जा तब तक कार्यशील नहीं होती, जब तक उसे स्पंदित न किया जाए. प्राणायाम ऊर्जा के स्पंदित करने का एक उपाय है.

प्राणायाम के माध्यम से हम शरीर की तमाम ऊर्जाओं को संचालित करने लगते हैं और संचालित ऊर्जा घषर्ण शक्ति पैदा करती है, जिसे हम जीवनी शक्ति अथवा लाइफ एनर्जी कहते हैं. व्यायाम हमारे बाहरी शरीर को क्रयाशील बनाकर सक्रिय बनाता है, जिससे शरीर में जहां जहां अवरोध पैदा हो जाता है, व्यायाम से हम उसे मुक्त करते हैं.

 रक्त संचालन में भी व्यायाम की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है. एक-एक अंग सक्रिय बने, उसमें उचित मात्रा में रक्त संचार हो, शरीर के किसी भाग में जकड़न पैदा न हो, यही व्यायाम का काम है, लेकिन प्राणायाम भीतरी शक्ति को विकसित करता है. हम जानते हैं कि हमारा शरीर आक्सीजन से ही जीवित है. यह आक्सीजन शरीर में जिनती मात्रा में जाए, इसकी भी व्यवस्था प्रकृति ने कर रखी है. जैसे हमारे फेफड़े से छह हजार छेद बने हैं, जो फिल्टर के काम करते हैं.

हमारी कठिनाई यह है कि हम कभी पूरी सांस नहीं लेते, जिससे फेफड़े के सारे छेदों से हवा अंदर जाए. पूरी सांस न लेने के कारण हमारे शरीर को पूरा आक्सीजन नहीं मिलती और हम बीमार पड़ जाते हैं. प्राणायाम के माध्यम से हम इस विधि को अपने जीवन में उतारते हैं कि कैसे शरीर में प्राणवायु को संचालित किया जाए. किन क्रियाओं से हम प्राणवायु को नियंत्रित करते हुए शरीर के अंग अंग में प्रेषित करें. प्राणायाम मन को एकाग्र करने का एक सरल माध्यम है.

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