उत्तराखंड

फर्जीवाड़ा: प्रमाणपत्र जांचने के बाद ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति

देहरादून : फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नियुक्ति पाने वाले शिक्षकों की ओर से गुपचुप तरीके से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की कोशिशों पर शासन अलर्ट हो गया है। सेवानिवृत्ति मांगने वाले और सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षक का पूरा ब्योरा खंगाला जाएगा। इसके बाद संतुष्ट होने पर ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की अनुमति शासन जारी करेगा।

31 मार्च के बाद सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों के देयकों के भुगतान के लिए भी शासन की अनुमति जरूरी होगी। इस संबंध में प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को आदेश जारी किए गए हैं।

राज्य में प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा सामने आ चुका है। फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति की कुल 79 शिकायतें मिली हैं। इनमें से 34 शिक्षकों को जांच के बाद बर्खास्त किया जा चुका है। फर्जीवाड़े के अधिकतर मामले ऊधमसिंहनगर और हरिद्वार जिलों के हैं।

फर्जीवाड़े का दायरा बड़ा होने का अंदेशा देखते हुए अब सभी शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच की जा रही है। सभी जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में विभागीय जांच समिति शिक्षकों के प्रमाणपत्रों को खंगालेगी। इस संबंध में शिक्षा मंत्री की ओर से भी आदेश जारी किए जा चुके हैं। इस जांच के साथ ही सरकार फर्जी तरीके से नियुक्त शिक्षकों के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने अथवा गुपचुप तरीके से सेवानिवृत्त होने के अंदेशे को देखते हुए एहतियात बरत रही है।

शासन ने प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को आदेश जारी कर 31 मार्च, 2017 के बाद सेवानिवृत्त शिक्षकों के किसी भी प्रकार के भुगतान पर रोक लगाने को कहा है। देयकों का भुगतान शासन की पूर्व अनुमति के बगैर नहीं होगा। शासन से अनुमति प्राप्त करने से पहले शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं। साथ में किसी भी शिक्षक को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की अनुमति के लिए भी शासन की पूर्व अनुमति जरूरी होगी। निदेशक को उक्त आदेश का सख्ती से पालन करने की हिदायत दी गई है।

कविन्द्र पयाल

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