भारत में सबसे सुरक्षित 3 बैंक कौन से हैं? RBI ने खुद किया घोषित

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर देश के तीन सबसे बड़े और व्यवस्थागत रूप से महत्वपूर्ण बैंकों में शामिल है। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) और आईसीआईसीआई बैंक (ICICI BAnk) शामिल हैं। इन तीनों बैंक को घरेलू व्यवस्थागत रूप से महत्वपूर्ण बैंक (Domestic Systemically Important Banks – D-SIB) घोषित किया गया है। यानी ये बैंक देश में सबसे सुरक्षित बैंक हैं।
ये तीनों बैंक पिछले साल (2024) की लिस्ट में भी शामिल थे और इस बार भी इन्हें उसी बकेट संरचना में रखा गया है। इन बैंकों का आकार और अर्थव्यवस्था में भूमिका इतनी बड़ी है कि इनके दिवालिया होने की स्थिति में पूरे वित्तीय तंत्र पर गंभीर संकट आ सकता है। इसलिए सरकार और नियामक इनकी स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतते हैं।
आरबीआई ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि, ”स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को 2024 की सूची के समान बकेट संरचना में ही घरेलू व्यवस्थागत रूप से महत्वपूर्ण बैंक (D-SIB) के रूप में पहचाना गया है। इन D-SIB बैंकों पर अतिरिक्त कॉमन इक्विटी टियर-1 (CET1) आवश्यकता लागू होगी, जो कैपिटल कंजर्वेशन बफर के अतिरिक्त होगी।”
बकेट के अनुसार अतिरिक्त CET1 पूंजी की जरूरत
आरबीआई ने इन बैंकों को उनके आकार और जोखिम के आधार पर अलग-अलग बकेट में रखा है। जैसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को बकेट-4 अतिरिक्त 0.80% CET1 पूंजी में रखा गया है। वहीं एचडीएफसी बैंक को बकेट-2 में अतिरिक्त 0.40% CET1 पूंजी के बकेट में रखा गया है। आईसीआईसीआई बैंक को बकेट-1 में अतिरिक्त 0.20% CET1 पूंजी में रखा गया है। ये अतिरिक्त पूंजी आवश्यकताएं 1 अप्रैल 2027 से प्रभावी होंगी।
D-SIB फ्रेमवर्क क्या है?
वैश्विक वित्तीय स्थिरता को मजबूत करने के प्रयास में RBI ने 2014 में D-SIB की अवधारणा शुरू की थी और 2015 से इनकी पहचान शुरू की गई। इसमें 2015 में सबसे पहले SBI को शामिल किया गया था। साल 2016 में ICICI Bank को और 2017 में HDFC Bank को शामिल किया गया।
इन बैंकों पर सख्त नियामकीय निगरानी और अधिक पूंजी रखने की बाध्यता होती है ताकि आर्थिक झटकों का सामना कर सकें और अर्थव्यवस्था में कोई बड़ा संकट न आए। संकट की स्थिति में सरकार भी इन बैंकों को बचाने के लिए हस्तक्षेप कर सकती है।
आरबीआई का यह कदम देश के वित्तीय तंत्र को और मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इन तीनों बैंकों का देश की कुल बैंकिंग परिसंपत्तियों में करीब 40-45% हिस्सा है, जिससे इनकी स्थिरता पूरे बैंकिंग सेक्टर और अर्थव्यवस्था के लिए निर्णायक हो जाती है।




