नतीजे तय करेंगे राजद-तेजस्वी-प्रशांत का भविष्य, राहुल की भी होगी अग्निपरीक्षा

मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर), वक्फ संशोधन अधिनियम विवाद, ऑपरेशन सिंदूर और जाति जनगणना के साये में हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे देश की राजनीति में दूरगामी परिणाम लाने वाले साबित होंगे। नतीजे न सिर्फ राजद, जदयू और जनसुराज पार्टी का भविष्य तय करेंगे, बल्कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए भी अग्निपरीक्षा होंगे। इससे बिहार के साथ-साथ केंद्र की राजनीति का भी सियासी समीकरण बदलेगा। वर्तमान चुनाव जदयू और राजद के लिए सबसे अहम है।
खासतौर पर बीते दो दशकों से चुनाव दर चुनाव हारने वाले राजद और पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की विरासत संभालने वाले तेजस्वी यादव के लिए। साल 2005 के बाद राजद ने साल 2015 और 2022 में नीतीश के साथ कुछ दिनों तक सत्ता का स्वाद चखा। मुख्य तौर पर यादव और मुस्लिम वोट बैंक के सहारे रह गई राजद को अगर इस बार सफलता नहीं मिली तो लालू परिवार में विरासत की जंग की छिपी चिंगारी प्रचंड रूप से भड़क सकती है। इसके उलट अगर राजद की अगुवाई में विपक्षी महागठबंधन को जीत मिली तो लालू परिवार में विरासत की जंग हमेशा के लिए खत्म हो सकती है।
जदयू के लिए इस बार अस्तित्व का सवाल
जहां नीतीश वहीं जीत। इसे बीते चार चुनाव ने साबित किया है। नीतीश ने 2015 में राजग से नाता तोड़ने के बाद जीत हासिल कर इसे साबित भी किया है। हालांकि, इस बार जदयू के लिए यह करो या मरो की जंग है। नीतीश के बढ़ती उम्र और अस्वस्थ रहने की अटकलों के बीच पार्टी में उनके उत्तराधिकार का दूर-दूर तक अता पता नहीं है। ऐसे में एक चुनावी हार जदयू को भंवर में डाल सकती है। इसके उलट जीत हासिल होने पर नीतीश के पास अपनी विरासत तय करने के लिए पर्याप्त समय होगा।
राहुल के लिए करो या मरो की जंग
लोकसभा चुनाव में आरक्षण-संविधान खत्म करने को मुख्य मुद्दा बना कर राहुल गांधी ने राजग को झटका जरूर दिया, मगर विपक्ष के सर्वमान्य नेता के रूप में उन्हें मान्यता नहीं मिली। हालांकि एसआईआर के मुद्दे पर राहुल विपक्ष को अपने नेतृत्व में एकजुट करने में सफल रहे। बिहार के साथ इसे पूरे देश में मुद्दा बनाया। ऐसे में अगर बिहार में विपक्ष को सफलता मिलती है तो राहुल का कद बढ़ेगा।