उत्तराखंड

उत्‍तराखंड में संदेह के घेरे में 65 बिल्डरों के प्रोजेक्ट

देहरादून : सूबे में 65 बिल्डरों के प्रोजेक्ट संदेह के घेरे में हैं। संदेह उन दस्तावेजों पर है, जो उन्होंने रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) में पंजीकरण के लिए जमा कराए हैं। इससे यह आशंका भी बढ़ गई है कि बिल्डरों ने नक्शे, जमीन के स्वामित्व आदि को लेकर कहीं न कहीं गड़बड़ी की है। यही वजह है कि रेरा के नोटिस के बाद भी बिल्डर कोई जवाब नहीं दे पा रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए रेरा ने पंजीकरण स्थगित कर दिया और अब इन बिल्डरों के नक्शे निरस्त करने को नोटिस भेजने की तैयारी में है।

दरअसल, एक मई 2017 तक कंप्लीशन सर्टिफिकेट न लेने वाले बिल्डरों के लिए रेरा में पंजीकरण के लिए 31 जुलाई आखिरी तारीख तय की गई थी। तय समय तक 168 बिल्डरों ने पंजीकरण के लिए आवेदन किया था। नियामक प्रधिकारी के सचिवालय के रूप में काम कर रहे उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (उडा) के अधिकारियों ने आवेदनों की स्क्रूटनी में पाया कि 118 बिल्डरों के दस्तावेज पूरे नहीं हैं।

इन सभी को नोटिस जारी कर दस्तावेज पूरे करने को कहा गया था। उडा के कार्यक्रम प्रबंधक कैलाश पांडे के मुताबिक 53 बिल्डरों ने नोटिस का जवाब दे दिया है, जबकि 65 बिल्डरों ने दो नोटिस के बाद भी कोई जवाब नहीं दिया। संभव है कि ऐसे बिल्डरों के पास प्रोजेक्ट को लेकर वैध दस्तावेज हों ही नहीं। लिहाजा, इन सभी को नोटिस भेजा जा रहा है, जिसमें उन्हें जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाएगा और फिर नक्शे निरस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।

 50 बिल्डर, 90 डीलरों के पंजीकरण पर मुहर

उडा के कार्यक्रम प्रबंधक पांडे के अनुसार अब तक 50 बिल्डरों व 90 प्रॉपर्टी डीलरों के पंजीकरण को हरी झंडी दे दी गई है। पंजीकरण के लिए आवेदनों की संख्या भी निरंतर बढ़ती जा रही है।

खुलने लगी प्रॉपर्टी डीलरों की पोल

कृषि भूमि पर आवासीय प्लॉट बेचने और बिना ले-आउट पास कराए भूखंड बेचने वाले प्रॉपर्टी डीलरों पर रेरा का शिकंजा कसने के बाद अब खुद ही उनकी पोल खुल रही है। रेरा में पंजीकरण न कराने वाले प्रॉपर्टी डीलरों की रजिस्ट्रियों पर रोक लगा दी गई है। अब उनके पास एक ही रास्ता बचा है कि वे ले-आउट पास कराकर रेरा में पंजीकरण कराएं और फिर भूखंड बेचें।

हालांकि, बड़ी संख्या में ऐसे भी डीलर हैं, जो कृषि भूमि पर यह खेल कर रहे थे। इस भूमि पर ले-आउट भी पास नहीं कराया जा सकता और लैंडयूज बदलवाना आसान नहीं, साथ ही बेहद महंगा भी है। ऐसे में इन दिनों कई प्रॉपर्टी डीलर उडा कार्यालय पहुंचकर अपनी खामी बता रहे हैं और मदद की गुहार भी लगा रहे हैं।

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