उत्तराखंड

99 साल में भी युवा भविष्य को लेकर चिंतित सत्येश्वर, बोले- संस्कार का पाठ जरूरी

देहरादून : हजारों छात्र-छात्राओं को शिक्षा के साथ सुसंस्कारों का पाठ पढ़ाने वाले 99 साल के सत्येश्वर शर्मा आज युवा पीढ़ी को लेकर चिंतित हैं। कहते हैं अच्छी एवं आधुनिक शिक्षा के साथ बेहतर संस्कार ग्रहण करने भी जरूरी हैं। अन्यथा शिक्षा को कोई महत्व नहीं है। आज की युवा पीढ़ी संस्कारों से दूर भाग रही है, जिसका दुष्परिणाम यह है कि पहाड़ का युवा आज खुद को पहाड़ी बताने में अपनी तोहीन महसूस करता है। जबकि उसे तो खुद पर गर्व होना चाहिए कि वे पहाड़ों के सुदूर रमणीय गांवों से वास्ता रखता है। जहां आज भी प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना विद्यमान है।

त्यागी रोड निवासी वयोवृृद्ध शिक्षक सत्येश्वर शर्मा वर्ष 1978 में श्री गुरु राम राय स्कूल नेहरूग्राम से बतौर प्रधानाचार्य रिटायर हुए। इसके बाद भी उन्होंने तीन दशकों तक नियमित किताबें पढ़़ना नहीं छोड़ा। सत्येश्वर शर्मा ने शिक्षक दिवस पर अपने लंबे अनुभव को जागरण के साथ साझा करते हुए कहा कि वह करीब छह दशकों से बतौर शिक्षक छात्रों से सीधे जुड़े रहे। साठ के दशक में भोगपुर श्री गुरुराम राय स्कूल से बतौर शिक्षक का सफर शुरू करने वाले सत्येश्वर शर्मा 1962 में नेहरूग्राम स्थित श्री गुरु राम राय स्कूल के प्रधानाचार्य नियुक्त हुए और 1978 में यहीं से सेवानिवृत्त भी हुए।

सत्येश्वर शर्मा कहते हैं कि साठ एवं सत्तर के दशक में स्कूलों में ज्यादा उग्र छात्र पढ़ाई करने आते थे जो शरारती तो होते थे लेकिन, शिक्षकों एवं परिजनों के प्रति उनके मन में आदर का भाव होता था। अभिभावक भी अपने छात्रों को बेहतर शिक्षा व सुसंस्कार देने के लिए शिक्षकों के प्रति बेहतर आदर व सम्मान का भाव रखते थे। जिसमें अब निरंतर कमी देखी जा रही है। कहा एक संस्कारी व्यक्ति ही आर्दश समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। आज शिक्षक दिवस के मौके पर नेहरूग्राम स्थित श्री गुरु राम राय स्कूल प्रबंधन ने उन्हें सम्मानित करने के लिए आमंत्रित किया है।

स्वतंत्रता आंदोलन में जेल भी गए 

सत्येश्वर शर्मा ने स्वतंत्रता संग्राम में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया। 1941-42 में जब वे डीएवी कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे तो उनके मन में आजादी की ज्वाला जागी और वह स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। जिससे उन्हें डीएवी कॉलेज से निकाल दिया गया। वे दो सितंबर 1942 से 19 अक्टूबर 1942 तक जेल में बंद रहे। 15 अगस्त 1972 को तत्कालीन देहरादून के डीएम रमेश चंद त्रिपाठी ने सत्येश्वर शर्मा का अभिनंदन कर उन्हें सम्मानित भी किया।

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