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कई राज्यों में SIR के काम में रुकावट पर SC सख्त

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के दौरान बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) पर हो रहे हमलों और धमकियों को बेहद गंभीर मानते हुए चुनाव आयोग ऑफ इंडिया (ECI) को नोटिस जारी कर दिया है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने साफ कहा कि BLO ग्राउंड लेवल पर भारी दबाव और तनाव में काम कर रहे हैं, उन्हें सुरक्षा मिलनी ही चाहिए।

याचिका में कहा गया था कि पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में BLO घर-घर जाकर मतदाता सूची की जांच कर रहे हैं, लेकिन उन्हें स्थानीय गुंडों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं से लगातार धमकियां मिल रही हैं, कुछ जगह तो मारपीट भी हुई है।

ये डेस्क का काम नहीं, घर-घर जाना पड़ता है’
चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने सुनवाई के दौरान BLO के काम की कठिनाई को पूरी तरह स्वीकार किया। जस्टिस बागची ने कहा, “ये कोई डेस्क का काम नहीं है। वे हर घर जाते हैं, वहां जाकर वेरिफिकेशन करते हैं, फॉर्म भरवाते हैं, फिर उसे लेकर आते हैं और अपलोड करते हैं। घर-घर जाना, फिर वापस आकर अपलोड करना ये भारी दबाव और तनाव का काम है।”

उन्होंने आगे कहा, “हम किसी राजनीतिक नैरेटिव में नहीं पड़ रहे हैं। हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि ग्राउंड लेवल पर SIR का काम बिना किसी रुकावट और डर के पूरा हो सके।”

अफसरों को डर के साए में नहीं छोड़ा जा सकता है
चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने भी टिप्पणी की कि अगर BLO को सुरक्षा नहीं दी जा रही है तो ये बहुत गंभीर विषय है। कोर्ट ने साफ किया कि मतदाता सूची को साफ-सुथरा और सही बनाना लोकतंत्र की बुनियाद है और इसके लिए काम करने वाले अफसरों को डर के साए में नहीं छोड़ा जा सकता है।

कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा है कि आखिर BLO की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? पश्चिम बंगाल में SIR का काम तेजी से चल रहा है और इसके लिए हजारों BLO-टीचर और सरकारी कर्मचारी लगाए गए हैं। कई जगहों से शिकायत आई है कि कुछ राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता BLO को काम नहीं करने दे रहे और धमका रहे हैं।

अब चुनाव आयोग को देना होगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर दो हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि BLO को सुरक्षित माहौल में काम करने का पूरा हक है, क्योंकि वे निष्पक्ष तरीके से मतदाता सूची तैयार करने का महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं।

पश्चिम बंगाल में अगले साल पंचायत चुनाव और उसके बाद लोकसभा की तैयारी को देखते हुए यह SIR ड्राइव बहुत अहम है। कोर्ट का साफ कहना है कि इस काम में कोई राजनीतिक दखल या हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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