राजनीति

किस बात को लेकर सोशल मीडिया पर ट्रोल हुए राहुल गांधी?

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात न होने और राष्ट्रपति भोज में न बुलाए जाने पर कांग्रेस के विलाप के बीच, सरकार समर्थक खेमे ने सोशल मीडिया पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के पिछले आचरण पर तीखे सवाल उठाए हैं। आरोप है कि सांविधानिक पदों की गरिमा और राष्ट्रीय अपेक्षाओं के प्रति उनके लगातार अनादर को देखते हुए, उन्हें प्रोटोकॉल की दुहाई देने का कोई हक नहीं है। राहुल गांधी के आचरण में सांविधानिक संस्थाओं के प्रति उपेक्षा का एक स्पष्ट पैटर्न है।

वह राष्ट्रीय पर्वों का बहिष्कार करते रहे हैं। राहुल गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय एकता के महापर्वों के समारोहों से लगातार अनुपस्थित रहे हैं। इसके बाद करदाताओं के पैसे से निर्मित कर्तव्य भवन के उद्घाटन में भी उन्होंने शामिल होना उचित नहीं समझा। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के पदभार ग्रहण के बाद शिष्टाचार भेंट नहीं की। ट्रोलर्स ने लिखा, राहुल ने संसद में मर्यादा का उल्लंघन किया। राष्ट्रपति कोविंद के संसदीय भाषणों के दौरान उनका टेक्स्टिंग और चैटिंग में व्यस्त रहना सांविधानिक पद के प्रति घोर अनादर का प्रतीक माना गया। वह 51वें सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना और 53वें सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत के शपथ ग्रहण समारोहों में भी नहीं पहुंचे।

प्रणब को भारत रत्न के समारोह में भी नहीं पहुंचे थे
राहुल अपनी ही पार्टी में पूर्व मंत्री रहे और देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न दिए जाने के राष्ट्रीय सम्मान के पल में भी उमस्थित नहीं हुए थे। सामाजिक न्याय की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले राहुल गांधी देश के पहले दलित मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) हीरालाल सामरिया के पदभार ग्रहण के मौके पर भी मौजूद नहीं थे।

सम्मान हक से नहीं, जिम्मेदारी से मिलता है
ये सभी घटनाक्रम दिखाते हैं कि राहुल ने अपने पद से अपेक्षित सांविधानिक जिम्मेदारियों को बार-बार नजरअंदाज किया है। विदेशी राष्ट्राध्यक्षों से न मिल पाने की शिकायतें करने से पहले उन्हें अपने सांविधानिक आचरण पर आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।

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