राजनीति

संजीव सिंह फिर मैदान में, कोयलांचल की राजनीति में हलचल

कोयलांचल की राजनीति में एक नया अध्याय लिखने की तैयारी हो रही है। झरिया के पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह, जो आठ वर्षों की जेल जीवन के बाद हाल ही में बरी होकर बाहर आए हैं, अब सक्रिय राजनीति में वापसी करने की योजना बना रहे हैं। वे आज रविवार को महत्वपूर्ण घोषणा कर सकते हैं।

2017 के धनबाद पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह हत्याकांड में नामजद आरोपी रहे संजीव सिंह को विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने 27 अगस्त 2025 को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इस फैसले के बाद वे जेल से रिहा हुए और अब परिवार व समर्थकों के साथ राजनीतिक रणनीति पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।

नीरज सिंह की हत्या 21 मार्च 2017 को धनबाद के स्टील गेट के पास हुई थी। उस शाम मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने नीरज सिंह के एसयूवी पर 67 गोलियां बरसाईं, जिसमें नीरज के अलावा उनके ड्राइवर घोल्टू महतो, बॉडीगार्ड मुन्ना तिवारी और सहायक अशोक यादव भी मारे गए।

यह कोयला माफिया प्रभावित क्षेत्र का सबसे सनसनीखेज हत्याकांड था, जिसमें ट्रेड यूनियन विवाद और पारिवारिक रंजिश की आशंका जताई गई। नीरज सिंह, जो कांग्रेस के प्रमुख नेता और धनबाद नगर निगम के पूर्व डिप्टी मेयर थे, संजीव सिंह के चचेरे भाई भी थे।

पुलिस ने संजीव सिंह समेत 10 लोगों पर साजिश रचने का आरोप लगाया था। संजीव को 12 अप्रैल 2017 को गिरफ्तार किया गया और आठ वर्ष जेल में बिताने पड़े। सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2025 में शर्तों के साथ जमानत दी, लेकिन फैसले तक वे धनबाद नहीं आ सके।

संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह वर्तमान में झरिया विधानसभा क्षेत्र की भाजपा विधायक हैं। उन्होंने 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर कांग्रेस की पूर्णिमा नीरज सिंह (नीरज सिंह की पत्नी) को कड़ी टक्कर देकर 12,000 से अधिक वोटों से हराया।

रागिनी की जीत ने परिवार की राजनीतिक विरासत को मजबूत किया। अब संजीव सिंह की राजनीतिक पुनरागमन से कोयलांचल में नया समीकरण बन सकता है। संजीव ने रिहाई के बाद कहा-मैं निर्दोष साबित हुआ हूं। अब धनबाद की जनता की सेवा ही मेरा लक्ष्य है। समर्थक दावा कर रहे हैं कि वे आगामी स्थानीय चुनावों या उपचुनाव में सक्रिय होंगे।

हालांकि, नीरज सिंह के छोटे भाई अभिषेक सिंह ने फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। वे कहते हैं-न्याय की लड़ाई जारी रहेगी। यह मामला धनबाद की हिंसक राजनीति को फिर से उजागर कर रहा है, जहां कोयला व्यापार और सत्ता की जंग अक्सर खूनी रंग ले लेती है।

संजीव सिंह की वापसी से भाजपा मजबूत होगी या नई विवादास्पद बहस छिड़ेगी, यह समय बताएगा। फिलहाल, कोयलांचल की सियासत में हलचल तेज हो चुकी है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button