धर्म/अध्यात्म

अक्षय नवमी पर बन रहा है वृद्धि योग

कार्तिक शुक्ल नवमी को मनाई जाने वाली अक्षय नवमी को अक्षय पुण्य प्रदान करने वाला दिन कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, इसी दिन कल्पवृक्ष का प्रकट होना हुआ था, इसलिए इसे कल्पनवमी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से असीम समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। चलिए पढ़ते हैं आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 31 October 2025) और जानते हैं शुभ मुहूर्त के बारे में।।

आज का पंचांग (Panchang 31 October 2025)
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि समाप्त – सुबह 10 बजकर 3 मिनट तक

वृद्धि योग – ब्रह्म मुहूर्त 4 बजकर 32 मिनट तक (1 नवंबर)

कौलव – सुबह 10 बजकर 3 मिनट तक

तैतिल – रात 9 बजकर 43 मिनट तक

वार – शुक्रवार

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय – सुबह 6 बजकर 32 मिनट से

सूर्यास्त- शाम 5 बजकर 37 मिनट पर

चंद्रोदय – दोपहर 2 बजकर 16 मिनट पर

चंद्रास्त – देर रात 1 बजकर 44 मिनट पर (1 नवंबर)

सूर्य राशि – तुला

चंद्र राशि – मकर (सुबह 6 बजकर 48 मिनट तक) फिर कुंभ राशि में प्रवेश

आज के शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक

अमृत काल – सुबह 8 बजकर 19 मिनट से सुबह 9 बजकर 56 मिनट तक

आज का अशुभ समय
राहुकाल – सुबह 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 4 मिनट तक

गुलिक काल – सुबह 7 बजकर 55 मिनट से सुबह 9 बजकर 18 मिनट तक

यमगण्ड – दोपहर 2 बजकर 51 मिनट से शाम 4 बजकर 14 मिनट तक

आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव धनिष्ठा नक्षत्र में रहेंगे…

धनिष्ठा नक्षत्र- सायं 06:51 बजे तक

सामान्य विशेषताएं: आत्मविश्वासी, शक्तिशाली, धैर्यवान, परिश्रमी, प्रसिद्धि, सौंदर्य, धन, कलात्मक प्रतिभा, स्वतंत्र स्वभाव, स्वार्थी, लालची, क्रोधी, विश्वसनीय और दानशील

नक्षत्र स्वामी: मंगल देव

राशि स्वामी: शनि देव

देवता: आठ वसु (भौतिक समृद्धि के देवता)

प्रतीक: ढोल या बांसुरी

आज का पर्व – अक्षय नवमी
अक्षय नवमी आंवले के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। जो व्यक्ति इस दिन दान, व्रत या सेवा करता है, उसका पुण्य अक्षय रहता है अर्थात कभी समाप्त नहीं होता। यह दिन धर्म और भक्ति की शक्ति का प्रतीक है।

अक्षय नवमी पूजा विधि –
प्रातःकाल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
घर या मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
गंगाजल से स्थान को पवित्र करें और दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी दल और पीले वस्त्र अर्पित करें।
माता लक्ष्मी को लाल फूल, सिंदूर और सुगंधित पुष्प चढ़ाएं।
आंवले के वृक्ष के नीचे दीपक जलाकर पूजा करें, और भगवान विष्णु का नाम जप करें।
ब्राह्मण या जरूरतमंदों को भोजन व वस्त्र का दान करें।
अंत में “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप कर आरती करें।

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