राष्ट्रपति ट्रंप के करीबी चार्ली किर्क को अमेरिका की सर्वोच्च नागरिक उपाधि

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दिवंगत कार्यकर्ता चार्ली कर्क को उनके 32वें जन्मदिन पर मरणोपरांत ‘प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम’ से सम्मानित किया। कर्क ‘टर्निंग पॉइंट यूएसए’ के संस्थापक और युवा कंजर्वेटिव आंदोलन के प्रमुख चेहरे थे।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को दिवंगत युवा कंजर्वेटिव नेता चार्ली कर्क को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम’ से मरणोपरांत सम्मानित किया। यह सम्मान उनके 32वें जन्मदिन के मौके पर आयोजित एक विशेष समारोह में दिया गया।
चार्ली कर्क सच्चे अमेरिकी हीरो थे- ट्रंप
ट्रंप ने व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में आयोजित इस समारोह में कहा कि चार्ली कर्क ने युवाओं को राजनीति और राष्ट्रभक्ति के रास्ते पर प्रेरित किया। उन्होंने कहा कर्क सच्चे अमेरिकी हीरो थे, जिन्होंने स्वतंत्रता की आवाज को बुलंद किया। चार्ली कर्क टर्निंग पॉइंट यूएसए के संस्थापक थे और अमेरिकी दक्षिणपंथी राजनीति के उभरते चेहरों में गिने जाते थे। पिछले महीने यूटा वैली यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम के दौरान गोलीबारी में उनकी मौत हो गई थी।
ट्रंप ने कर्क की अंतिम यात्रा के दौरान उन्हें महान अमेरिकी नायक और स्वतंत्रता के शहीद कहा था। उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस और कर्क की पत्नी एरिका कर्क भी उनके पार्थिव शरीर को एरिजोना ले जाने के दौरान साथ थीं।
इन हस्तियों को भी मिल चुका सम्मान
गौरतलब है कि ‘प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम’ की शुरुआत 1963 में जॉन एफ. केनेडी ने की थी। यह सम्मान उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने अमेरिका की सुरक्षा, राष्ट्रीय हित, विश्व शांति या सांस्कृतिक योगदान में असाधारण कार्य किया हो। ट्रंप ने अपने कार्यकाल में इससे पहले टाइगर वुड्स, एल्विस प्रेस्ली, रश लिम्बॉ और आर्थर लैफर जैसी हस्तियों को भी यह सम्मान दिया था।
कौन थे चार्ली किर्क
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सहयोगी चार्ली किर्क (31) की 10 सितंबर को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। किर्क यूटा वैली यूनिवर्सिटी में एक कॉलेज कार्यक्रम में भाषण दे रहे थे, तभी उन पर हमला हुआ था। चार्ली किर्क की गिनकी ट्रंप के करीबियों में होती थी। किर्क ने 2012 में शिकागो के उपनगर में टर्निंग प्वाइंट यूएसए की स्थापना की थी। इस संगठन का मकसद कॉलेज कैंपसों में कम टैक्स और सीमित सरकार की विचारधारा को बढ़ावा देना था।