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पीएम मोदी सशस्त्र बलों के संयुक्त कमांडर सम्मेलन का करेंगे उद्घाटन

15 से 17 सितंबर तक आयोजित होने वाले तीन दिवसीय इस महत्वपूर्ण कमांडर्स कांफ्रेंस में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान और रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह समेत तीनों सेनाओं के प्रमुख और अन्य शीर्ष सैन्य कमांडर शामिल होंगे।

तीनों सेनाओं के शीर्ष कमांडर आज से कोलकाता में एक मंच पर एकत्रित होकर सुरक्षा संबंधी विभिन्न मुद्दों व भावी रणनीति पर तीन दिनों तक गहन विचार मंथन करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार सुबह कोलकाता में सेना के पूर्वी कमान मुख्यालय विजय दुर्ग (पूर्व नाम फोर्ट विलियम) में भारतीय सशस्त्र बलों के संयुक्त कमांडर सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। 15 से 17 सितंबर तक आयोजित होने वाले तीन दिवसीय इस महत्वपूर्ण कमांडर्स कांफ्रेंस में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल, चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान और रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह समेत तीनों सेनाओं के प्रमुख और अन्य शीर्ष सैन्य कमांडर शामिल होंगे।

क्या है सीसीसी?
संयुक्त कमांडर सम्मेलन (सीसीसी) सशस्त्र बलों का सर्वोच्च विचार-मंथन मंच है जो देश के शीर्ष नागरिक नेतृत्व और सैन्य नेतृत्व को वैचारिक एवं रणनीतिक स्तरों पर विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए एक साथ लाता है। अधिकारियों ने बताया कि इस सम्मेलन में सशस्त्र बलों में सुधारों, परिवर्तन और संचालन संबंधित तैयारियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

सीसीसी में क्या-क्या होगा?
इस साल का थीम है ‘सुधारों का वर्ष – भविष्य के लिए परिवर्तन’। तीनों सेना के शीर्ष कमांडर विभिन्न मुद्दों पर मंथन करेंगे। इस कॉन्फ्रेंस में सभी रैंकों के सैनिकों और अधिकारियों के साथ वार्ता सत्र भी होंगे, ताकि जमीनी अनुभव भी चर्चा का हिस्सा बनें। रक्षा सहित अन्य मंत्रालयों के सचिव और तीनों सेनाओं के अधिकारी इसमें मौजूद रहेंगे।

इस साल कोलकाता में होने जा रहा यह कांफ्रेंस सुधार, परिवर्तन और आपरेशनल तैयारियों पर केंद्रित होगा। इसका लक्ष्य है सेनाओं को और चुस्त, निर्णायक और आधुनिक बनाना, ताकि जटिल भू-राजनीतिक स्थिति में भारत की सुरक्षा मजबूत रहे।

इस महत्वपूर्ण कांफ्रेंस के लिए कोलकाता को चुना जाना खास
कोलकाता को इस महत्वपूर्ण कांफ्रेंस के लिए चुना जाना खास है। रक्षा जानकारों के अनुसार, हाल के दशकों में पहली बार कोलकाता में इतना बड़ा कॉन्फ्रेंस होने जा रहा है। पूर्वी भारत में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, खासकर बंगाल की खाड़ी और भारत-चीन सीमा पर स्थिति को देखते हुए, कोलकाता एक उपयुक्त स्थान है।

बंगाल में ऐसे समय में यह कॉन्फ्रेंस होने जा रहा है जब दो पड़ोसी देश- एक तरफ बांग्लादेश में पिछले साल और दूसरी तरफ नेपाल में हाल में तख्तापलट हुआ है। बंगाल के साथ दोनों देशों की सीमाएं लगती है। वहीं, पूर्वोत्तर राज्यों के साथ चीन की सीमाएं भी लगती है, जो बंगाल के पास में ही है।

रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सेना का पूर्वी कमान, जहां यह कॉन्फ्रेंस होने जा रहा है, उसपर अरुणाचल प्रदेश व सिक्किम सेक्टरों में चीन के साथ लगते वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की रक्षा का दायित्व है, जिसका मुख्यालय कोलकाता में ही है। पूर्वी कमान सेना का सबसे बड़ा कमान भी है।

भारत की सैन्य रणनीति को नई दिशा
कॉन्फ्रेंस में सेनाओं में संस्थागत बदलाव जैसे एकीकरण और रक्षा प्रणालियों को बेहतर करना, नई तकनीकों को अपनाना, जैसे ड्रोन, एआइ और साइबर युद्ध क्षमता, जमीनी, हवाई और समुद्री क्षेत्रों में हर समय तैयार रहना, जैसी बिंदुओं पर चर्चा होगी।

अधिकारियों के अनुसार, कमांडर्स कॉन्फ्रेंस 2025 भारत की सैन्य रणनीति को नई दिशा देगी। कॉन्फ्रेंस में साइबर हमले, ड्रोन युद्ध और क्षेत्रीय तनाव जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीतियां बनेंगी। इसके अलावा, सेनाओं के बीच एकीकरण पर जोर दिया जाएगा, जैसे थिएटर कमांड्स की स्थापना, जो तीनों सेनाओं को एक साथ काम करने में सक्षम बनाएगी।

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