उत्तर प्रदेश

वाराणसी कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे पूर्व सांसद धनंजय सिंह

वाराणसी में बिना गैंग लीडर के 23 साल तक गैंगस्टर का मुकदमा चला। इसे लेकर पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने कहा कि गैंगस्टर मुकदमे में गैंग लीडर अभय सिंह था और पुलिस को प्रभाव में लेकर अपना नाम निकालकर फाइनल रिपोर्ट लगवा दी।

गैंगस्टर एक्ट में चार आरोपियों को वाराणसी कोर्ट से दोषमुक्त करने के फैसले के खिलाफ जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह हाईकोर्ट जाएंगे। अपर जिला जज (त्रयोदश) सुशील खरवार के फैसले को वह हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। शुक्रवार को गैंगस्टर एक्ट के एक मामले में अपर जिला जज (त्रयोदश) की अदालत ने आरोपी संदीप सिंह, संजय सिंह रघुवंशी, विनोद सिंह और सतेंद्र सिंह बबलू को दोषमुक्त किया था।

गैंगस्टर एक्ट के मामले में गोसाईगंज के बाहुबली विधायक अभय सिंह मुख्य आरोपी थे, लेकिन इस मामले की दूसरे थाने से विवेचना हुई और विवेचक ने प्रलोभन में आकर अभय सिंह पर 169 की कार्रवाई कर एफआर लगा दी थी। जब मुख्य अभियुक्त का नाम निकल गया तो और आरोपियों का नाम रहना कोई मायने नहीं रखता।

उस दौरान बसपा सरकार में समाजवादी पार्टी के विधायक राजा भैया और तत्कालीन विधायक धनंजय सिंह सरकार का विरोध कर रहे थे तो उन्हें जेल में डाल दिया गया। इसलिए धनंजय सिंह पैरवी नहीं कर पाए थे, लेकिन बाद में धनंजय ने हाईकोर्ट में अभय सिंह के खिलाफ याचिका दाखिल की कि उनका नाम गलत तरीके से निकाला गया है। वह केस में गिरोह के लीडर हैं। अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी।

4 अक्तूबर 2002 को जौनपुर के पूर्व सांसद व केराकत के तत्कालीन विधायक धनंजय सिंह और उनके समर्थकों पर नदेसर में फायरिंग की गई थी। धनंजय सिंह ने अभय सिंह पर मुकदमा दर्ज कराया था, बाद में पुलिस ने एमएलसी विनीत सिंह, संदीप सिंह, संजय रघुवंशी, विनोद सिंह और सतेंद्र सिंह बबलू समेत अन्य अज्ञात पर मुकदमा दर्ज किया।

अभय सिंह, विनीत सिंह, संदीप सिंह संजय रघुवंशी, विनोद सिंह और सतेंद्र के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था, जिस मामले में पुलिस ने मुख्य अभियुक्त अभय सिंह को बनाया था।

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