आज है मंगला गौरी व्रत, इस कथा से पूरी होगी पूजा, जरूर करें पाठ

हर साल सावन माह में मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat 2025) भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। यह भगवान शिव और माता पार्वती के गौरी स्वरूप को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से सुखद वैवाहिक जीवन का वरदान मिलता है। इसके साथ ही सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।
सावन का महीना बहुत फलदायी माना जाता है। इस दौरान पड़ने वाले सभी मंगलार का बहुत ज्यादा महत्व है, जिसे मंगला गौरी व्रत के नाम से जाना जाता है। इस शुभ दिन पर महिलाएं बड़ी श्रद्धा से व्रत रखती हैं और माता गौरी की पूजा-अर्चना करती हैं। कहा जाता है कि इस उपवास को रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
आज यानी 15 जुलाई, 2025 को इस साल का पहला मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat 2025) रखा जा रहा है। ऐसे में इसे सफल बनाने के लिए मंगला गौरी व्रत कथा का पाठ जरूर करें, जो इस प्रकार हैं।
मंगला गौरी व्रत कथा (Mangla Gauri Vrat Katha)
प्राचीन समय में एक धर्मपाल नाम का सेठ था। वह बहुत बड़ा शिव भक्त और धनी था। उसका विवाह हुआ, लेकिन उसे संतान की प्राप्ति नहीं हुई। इस बात को लेकर सेठ परेशान रहने लगा। वह सोचने लगा कि अगर उसकी कोई संतान नहीं हुई, तो उसके कारोबार का उत्तराधिकारी कौन होगा? ऐसे में उसकी पत्नी ने इस बात को लेकर प्रकांड पंडित से संपर्क करने की राय दी।
पंडित ने सेठ को महादेव और माता पार्वती की पूजा करने के लिए कहा। इसके बाद उसकी पत्नी ने श्रद्धा भाव से उपासना की। पत्नी की भक्ति से माता पार्वती प्रसन्न हुईं और प्रकट होकर बोली कि हे देवी! तुम्हारी भक्ति से मैं अति प्रसन्न हूं, जो वर मांगना चाहते हो! मांगो। मैं तुम्हारी सभी मुरादें पूरी करूंगी। इस दौरान पत्नी ने संतान प्राप्ति की कामना की। माता पार्वती ने उन्हें संतान प्राप्ति का वरदान दिया, लेकिन संतान अल्पायु था।
एक साल के बाद पत्नी ने पुत्र को जन्म दिया। पुत्र के नामकरण के दौरान धर्मपाल ने माता पार्वती के वचन से ज्योतिष को अवगत कराया। तब ज्योतिष ने सेठ धर्मपाल को पुत्र की शादी मंगला गौरी व्रत करने वाली कन्या से करने के लिए कहा। ज्योतिष ने कहा कि सेठ धर्मपाल ने अपने पुत्र की शादी मंगला गौरी व्रत करने वाली कन्या से की। कन्या के पुण्य प्रताप से सेठ के पुत्र को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।