धर्म/अध्यात्म

संकष्टी चतुर्थी पर करें बप्पा की आरती, काम में आ रही अड़चने होंगी दूर

कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी (Krishna Pingala Sankashti Chaturthi 2025) आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन गणेश जी की पूजा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और बप्पा की कृपा मिलती है।

कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी का पर्व बहुत फलदायी माना जाता है। आज यानी 14 जून को आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि मनाई जा रही है। इस तिथि पर भगवान गणेश की पूजा का विधान है। कहते हैं कि इस दिन (Sankashti Chaturthi 2025) गणेश जी की पूजा करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। साथ ही बप्पा की कृपा मिलती है। ऐसे में सुबह उठें और स्नान करें।

फिर शुभकर्ता का ध्यान करें। घी का दीपक जलाएं। फिर बप्पा के वैदिक मंत्रों का जप करें। उन्हें मोदक, लाल फूल चढ़ाएं। अंत में आरती करें। ऐसा करने से काम भगवान गणेश की कृपा मिलती है, तो आइए पढ़ते हैं।

॥श्री गणेश जी की आरती॥ (Ganesh Ji ki Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

।। मां लक्ष्मी की आरती।। (Lakshmi ji ki Aarti)
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दौरान मुख्य द्वार खुला रखा जाता है।
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button