धर्म/अध्यात्म

आषाढ़ माह के पहले गुरुवार पर करें ये आरती, सुख-समृद्धि की नहीं होगी कोई कमी

आषाढ़ माह (Ashadha Month 2025) की शुरुआत 12 जून गुरुवार के दिन से हो रही है। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। कई साधक इस दिन पर व्रत आदि भी करते हैं। ऐसे में विष्णु जी की पूजा के दौरान उनकी आरती और मंत्रों का जप जरूर करें।

इस साल आषाढ़ माह 12 जून से शुरू हो रहा है, जो 10 जुलाई तक रहेगा। आषाढ़ माह के पहले दिन आप जगत के पालनहार भगवान विष्णु का विधि-विधान से पूजन जरूर करें। भगवान विष्णु जी की आरती के बिनाउनकी पूजा अधूरी है, इसलिए आरती का पाठ करना न भूलें।

भगवान विष्णु जी की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।

आषाढ़ माह के पहले दिन अगर आप भगवान विष्णु की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करते हैं, तो इससे आपको सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और पूरे माह कृपा बनी रहती है।

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।

कई साधक प्रभु श्रीहरि की कृपा के लिए गुरुवार का व्रत भी करते हैं। माना जाता है कि इससे साधक को वैवाहिक जीवन में लाभ देखने को मिल सकता है। जिन साधकों के विवाह में देरी हो रही है, उनके लिए भी गुरुवार का व्रत करना काफी लाभकारी माना जाता है।

विष्णु जी के मंत्र (Lord Vishnu Mantra)
शांताकारम भुजङ्गशयनम पद्मनाभं सुरेशम।
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।
वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।
ॐ नमोः नारायणाय॥
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
विष्णु गायत्री मंत्र – ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुडध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

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