उत्तराखंड

चिकित्सकों की भर्ती की जांच कराएं मुख्य सचिव

देहरादून : सूचना आयोग ने आयुष एवं शिक्षा विभाग में वर्ष 2010 में छह चिकित्सकों के फर्जी जाति और स्थायी निवास प्रमाण पत्रों के आधार पर नियुक्ति पाने की जांच मुख्य सचिव से कराने को कहा है। जांच और उसके अनुरूप कार्रवाई के लिए आयोग ने तीन माह का समय दिया है।

देहरादून निवासी विनोद कुमार गोयल ने वर्ष 2010 में छह होम्योपैथिक चिकित्सकों की नियुक्ति फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर किए जाने की शिकायत राज्य सरकार से की थी। इस पत्र पर की गई कार्रवाई की जानकारी के लिए उन्होंने प्रमुख सचिव आयुष एवं आयुष शिक्षा कार्यालय से आरटीआइ में जानकारी मांगी थी।

तय समय के भीतर पर्याप्त सूचनाएं न मिलने पर विनोद कुमार गोयल ने सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। अपील की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त सुरेंद्र सिंह रावत ने पाया कि अपीलार्थी ने बिंदुवार सूचना मांगी थी, लेकिन शासन ने उन्हें पूरी फाइल की छाया प्रति उपलब्ध करा दी।

उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि इससे यह स्पष्ट नहीं किया जा सकता कि किस बिंदु की सूचना दी गई और किस बिंदु की सूचना दी जानी शेष है। साथ ही, निर्देशित किया कि प्रमुख सचिव कार्यालय 15 दिन के भीतर अपीलार्थी को बिंदुवार सूचना उपलब्ध करा दे। वहीं, आयुक्त रावत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि शासन ने चिकित्सकों की नियुक्ति संबंधी शिकायत पर जांच कराने को लेकर अत्यंत शिथिलता बरती है।

इस पर उन्होंने आदेश की प्रति इस आशय के साथ मुख्य सचिव को भेजी कि वह संबंधित चिकित्सकों के प्रमाण पत्रों की छानबीन करा लें। यदि जाति व स्थायी निवास प्रमाण पत्र सही नहीं पाए जाते हैं तो उस पर प्रभावी कार्रवाई भी करा लें। प्रकरण में सुनवाई की अगली तिथि नौ नवंबर 2017 तय की गई है।

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