उत्तराखंड

बेटियों को देखते ही नम हुई आंखें

12 साल बाद बेटियों को सामने देख किशन कुमार फफक पड़े और उनकी आंखों से अश्रु धारा बह निकली। किशन ने उन्हें गले से लगा लिया और बोले कि ‘कहां-कहां नहीं ढूंढा बच्चों को। अब तो उम्मीद ही छोड़ दी थी। जब सूचना मिली कि दो बेटियां (रजनी व रेखा) देहरादून में हैं तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा, लेकिन दुख ये है कि पत्नी की मौत हो चुकी और एक बेटे व बेटी का अभी तक पता नहीं है। उम्मीद है कि वह भी जल्द मिल जाएंगे’। वहीं, इतने वक्त बाद घर जाने की खुशी से दोनों बेटियों की आंखों में चमक थी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय में दोनों बेटियों को पिता के सुपुर्द किया और सरकार की ओर से 25-25 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा भी की।

12 साल पहले गृह क्लेश के चलते रजनी और रेखा समेत चारों बच्चों को लेकर उनकी मां हरिद्वार आ गई थी। दो साल बाद मां की बीमारी के चलते मौत हो गई। तब तीनों बहनें अस्पताल में मां के साथ और भाई घर पर था। जब तीनों घर पहुंचीं तो भाई लापता था। इसके बाद तीनों बहनें दर-दर भटकने लगीं। पुलिस ने उन्हें दून बालिका निकेतन में रखवा दिया। लेकिन, वर्ष 2012 में एक बहन नारी निकेतन से भाग गई। वर्तमान में रजनी की उम्र 20 और रेखा की उम्र 16 साल है।

समाज कल्याण विभाग के अपर सचिव मनोज चंद्रन ने बताया कि जब रजनी पुलिस को मिली तब उसकी उम्र महज आठ वर्ष थी। काउंसिलिंग में रजनी सिर्फ इतना बता पाई थी कि उसका घर मध्य प्रदेश के शहडौल रेलवे स्टेशन के सामने गली में स्थित मार्केट के पास है। यहां एक पेड़ के सामने छोटी-सी गली है, जहां वे रहते थे। हाल ही में पुलिस के जरिये उसके पिता की तलाश की गई तो पता चला कि वह पांच साल पहले मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ जा चुके हैं। आसपास के लोगों के जरिये विभाग के अधिकारी रजनी के पिता किशन तक पहुंच गए। उन्होंने बताया कि युवतियों के पिता के साथ उनकी सौतेली मां भी दून पहुंची और वह भी काफी खुश थी। इस दौरान सचिव डॉ. भूपिंदर कौर औलख आदि मौजूद रहे।

सीएम आवास से गुलदस्ते जाएंगे नारी निकेतन

नारी निकेतन में रहने वाली संवासिनी व बालिकाएं सूखे फूलों से अगरबत्तियां बनाती हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने निर्देश दिया है कि सीएम आवास में आने वाले गुलदस्तों को नारी निकेतन पहुंचाया जाए, जिससे इनका इस्तेमाल अगरबत्ती बनाने में हो सके।

 

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