जीवनशैली

कम उम्र के लोगों में क्यों बढ़ रही है कमर दर्द की समस्या?

पुराने समय में कमर दर्द को बढ़ती उम्र का एक सामान्य लक्षण माना जाता था, लेकिन आज के दौर में यह समस्या युवाओं और यहां तक कि किशोरों में भी तेजी से फैल रही है। इसके पीछे का मुख्य कारण हमारी आधुनिक और गतिहीन जीवनशैली है। जब हम झुककर बैठते हैं या लेटकर काम करते हैं, तो रीढ़ की हड्डी का प्राकृतिक वक्र बिगड़ जाता है, जिससे मांसपेशियों और लिगामेंट्स में खिंचाव आता है।

इस समस्या को नजरअंदाज करने से यह स्थायी रूप ले सकती है जो बहुत गंभीर हो सकता है। युवाओं में कमर दर्द का यह बढ़ता ग्राफ स्पष्ट संकेत देता है कि हमें अपनी दिनचर्या और शारीरिक आदतों में तुरंत सुधार करने की जरूरत है।

गलत मुद्रा और स्क्रीन टाइम

कम उम्र में कमर दर्द का सबसे बड़ा कारण गलत मुद्रा है। लोग घंटों तक मोबाइल या कंप्यूटर स्क्रीन में झुके रहते हैं, जिसे अक्सर ‘टेक्स्ट नेक’ भी कहा जाता है। आगे की ओर झुका हुआ सिर रीढ़ पर अत्यधिक भार डालता है, जिससे ऊपरी और निचली दोनों कमर की मांसपेशियों में तनाव और अकड़न पैदा होती है।

कमजोर कोर मांसपेशियां

हमारी कोर मांसपेशियां (पेट और निचली पीठ की मांसपेशियां) रीढ़ को सहारा देने का काम करती हैं। शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण ये मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। जब कोर मांसपेशियां पर्याप्त सहारा नहीं दे पाती हैं, तो रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त भार पड़ता है, जिससे बैठने, खड़े होने या झुकने पर भी दर्द शुरू हो जाता है।

अत्यधिक वजन वाले बैग और तनाव

स्कूल जाने वाले बच्चों और युवाओं में, अत्यधिक वजन वाले बैग को एक कंधे पर लादने की आदत रीढ़ की हड्डी पर असंतुलित दबाव डालती है। इसके अलावा अधिक मानसिक तनाव भी पीठ की मांसपेशियों को कस देता है, जिससे तनावग्रस्त मांसपेशियां दर्द का कारण बनती हैं।

नींद की खराब गुणवत्ता और गद्दे

कमर दर्द में हमारी नींद की गुणवत्ता और सोने की सतह भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बहुत अधिक नरम या बहुत अधिक कठोर गद्दे रीढ़ की हड्डी को ठीक से सहारा नहीं दे पाते हैं, जिससे गलत मुद्रा में सोने से पीठ की मांसपेशियों में खिंचाव आता है। सही मुद्रा में सोना और मध्यम कठोरता वाला गद्दा इस्तेमाल करना दर्द से राहत दिला सकती है।

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