उत्तर प्रदेश

लखनऊ के सरकारी अस्पताल में बड़ी लापरवाही का खुलासा

गोसाईंगंज स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में लापरवाही का गंभीर मामला सामने आया है। आरोप है कि सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों ने प्रसूता के गर्भाशय में गॉज पैड भूल से छोड़ दिया, जो लगभग डेढ़ महीने बाद पेशाब के रास्ते बाहर आया। इस घटना के बाद पीड़ित परिवार ने डॉक्टरों और स्टाफ के खिलाफ थाने में शिकायत देने के साथ आईजीआरएस पोर्टल पर भी मामला दर्ज कराया है। घटना सामने आते ही स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया।

टांके पकने लगे, फिर तेज दर्द और पेशाब के दौरान निकला गॉज पैड
बेगरियामऊ निवासी रत्नेश सिंह ने बताया कि उनकी पत्नी सोनिया को 22 सितंबर को प्रसव पीड़ा होने पर सीएचसी में भर्ती किया गया। सिजेरियन डिलीवरी के बाद उसकी हालत खराब होने लगी, जिसके बाद डॉक्टरों ने उसे लोहिया संस्थान के मातृत्व एवं शिशु अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। वहां वह 5 दिन तक भर्ती रही। घर लौटने के कुछ समय बाद सोनिया के टांके पकने लगे। परिजन उसे वापस सीएचसी लेकर पहुंचे, लेकिन परिवार का आरोप है कि वहां डॉक्टर ने इलाज करने से मना कर दिया और किसी अन्य अस्पताल में जाने की सलाह दी।

इसी बीच बीते गुरुवार को अचानक सोनिया के पेट में तेज दर्द हुआ। पेशाब करते समय उसे कपड़े जैसा कोई हिस्सा बाहर आता महसूस हुआ। परिवार ने धीरे-धीरे उसे निकाला तो पता चला कि वह रुमाल के आकार का गॉज पैड था। इसके बाद जब निजी अस्पताल में जांच कराई गई तो पुष्टि हुई कि यह हेमोस्टैटिक गॉज पैड ही है। परिजनों का दावा है कि यह वही पैड है जो सिजेरियन के दौरान गर्भाशय में छूट गया था।

सीएचसी प्रशासन ने आरोपों को बताया गलत
मामले पर जब सीएचसी अधीक्षक डॉ. सुरेश चंद्र पांडेय से बात की गई, तो उन्होंने सभी आरोपों से साफ इनकार कर दिया। उनका कहना है कि जो पैड पेशाब के रास्ते निकला, वह सीएचसी की महिला चिकित्सक द्वारा नहीं डाला गया होगा, क्योंकि प्रसूता लोहिया से रेफर होने के बाद एक निजी अस्पताल भी गई थी। इधर, मामले की गंभीरता को देखते हुए सीएमओ डॉ. एन.बी. सिंह ने जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि जांच में यदि लापरवाही साबित होती है, तो संबंधित महिला चिकित्सक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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