जीवनशैली

अर्थराइटिस के मरीजों के लिए वरदान हैं ये 5 योगासन

अर्थराइटिस की समस्या के कारण व्यक्ति का उठना-बैठना भी मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इस कंडीशन में जोड़ों में काफी तेज दर्द होता है। दरअसल, इसके कारण जोड़ों में सूजन और अकड़न होने लगती है, जिसकी वजह से मूवमेंट काफी लिमिट हो जाते हैं। हालांकि, सही एक्सरसाइज और लाइफस्टाइल की मदद से इसे नियंत्रित (How to Reduce Arthritis Pain) किया जा सकता है।

अर्थराइटिस के दर्द से राहत दिलाने में योग (Yoga Poses For Arthritis Pain Relief) काफी मददगार हो सकता है। योग शरीर की फिजिकल मूवमेंट को बढ़ाता है, जिसके कारण दर्द और अकड़न से आराम मिलता है और मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं। आइए जानें अर्थराइटिस के दर्द से राहत पाने के लिए कौन-कौन से योगासन करने चाहिए।

ताड़ासन
ताड़ासन, जिसे ‘माउंटेन पोज’ भी कहा जाता है, एक आसान योगा पोज है, जो बॉडी पोस्चर और बैलेंस बनाने में मदद करता है। यह आसन जोड़ों को मजबूत करता है और कूल्हों, घुटनों और टखनों के लिए फायदेमंद होता है।

कैसे करें?
सीधे खड़े हो जाएं, पैरों के बीच थोड़ा अंतर रखें।
गहरी सांस लेते हुए, दोनों हाथों को सीधा ऊपर की ओर उठाएं और शरीर को ऊपर की ओर खींचें।
कुछ सेकंड के लिए इस पोजीशन में रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
धीरे-धीरे सामान्य पोजिशन में आ जाएं।


मार्जरीआसन
इस आसन को ‘कैट-काऊ पोज’ के नाम से भी जाना जाता है, जो रीढ़ की हड्डी की फ्लेक्सिबिलिटी को बढ़ाता है। यह गर्दन और कंधों के तनाव को कम करने में भी मदद करता है।

कैसे करें?
घुटनों और हथेलियों के बल फर्श पर लेट जाएं।
सांस छोड़ते हुए, अपनी पीठ को ऊपर की ओर मोड़ें और अपनी ठुड्डी को सीने से लगाएं।
फिर सांस लेते हुए, अपनी पीठ को नीचे की ओर झुकाएं और सिर को ऊपर उठाएं।
इस प्रक्रिया को 5-10 बार दोहराएं।


सेतुबंधासन
सेतुबंधासन, या ‘ब्रिज पोज’, पीठ के निचले हिस्से, कूल्हों और जांघों को मजबूत करता है। यह जोड़ों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है और शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है।

कैसे करें?
अपनी पीठ के बल लेट जाएं, घुटनों को मोड़ें और पैरों को फर्श पर रखें।
हाथों को शरीर के बगल में रखें, हथेलियां नीचे की ओर हों।
सांस लेते हुए, अपने कूल्हों को फर्श से ऊपर छत की ओर उठाएं।
कुछ देर इस पोजीशन में रुकें, फिर सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे नीचे आ जाएं।
इस प्रक्रिया को 3-5 बार दोहराएं।


वृक्षासन
वृक्षासन, या ‘ट्री पोज’, बैलेंस और स्थिरता को बेहतर बनाता है। यह टखनों, घुटनों और कूल्हों के लिए खासतौर से फायदेमंद है, क्योंकि यह इन जोड़ों को मजबूत करता है।

कैसे करें?
सीधे खड़े हो जाएं।
एक पैर को मोड़कर दूसरे पैर की जांघ के अंदरूनी हिस्से पर रखें।
बैलेंस बनाते हुए, हाथों को नमस्कार की मुद्रा में सीने के पास लाएं या सिर के ऊपर सीधा उठाएं।
30 सेकंड तक इसी पोजीशन में बने रहें, फिर दूसरे पैर से दोहराएं।
अगर संतुलन बनाना मुश्किल हो, तो आप शुरुआत में दीवार का सहारा भी ले सकते हैं।


बालासन
बालासन, या ‘चाइल्ड पोज’, एक रिलैक्सिंग योगा पोज है। यह तनाव को कम करता है, जिससे दर्द से राहत मिलता है। यह कूल्हों, जांघों और टखनों को धीरे से फैलाता है।

कैसे करें?
घुटनों के बल बैठ जाएं, पैरों के अंगूठे एक-दूसरे को छूते हों।
सांस छोड़ते हुए, आगे की ओर झुकें और अपने माथे को फर्श पर रखें।
हाथों को शरीर के साथ पीछे की ओर या सिर के सामने सीधा फैलाकर रखें।
इस पोजीशन में 1 से 3 मिनट तक रहें और गहरी सांस लें।

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