विदेश में मौजूद देवी माता के मंदिरों की पूरी लिस्ट, जानें कहां करें दर्शन

शारदीय नवरात्रि का पर्व देवी मां की भक्ति और उत्सव का मौका है। यह पर्व इस वर्ष 22 सितंबर 2025 से शुरू होकर 30 सितंबर 2025 तक मनाया जाएगा। भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी मां दुर्गा के अनेक भव्य मंदिर हैं। मां दुर्गा के जो विदेश में रहते हैं या जो लोग इस नवरात्रि पर विदेश यात्रा पर जा रहे हैं, उनके लिए माता का दर्शन और पूजन भी आसान है। वह भारत की तरह ही विदेश में स्थित कई देवी मंदिरों के बारे में जान लें ताकि नवरात्रि के पावन अवसर पर माता के दर्शन कर सकें और आध्यात्मिक अनुभव पा सकें। यात्रा की पूरी जानकारी और मंदिरों की लिस्ट जानकर आप आसानी से अपनी यात्रा का प्लान बना सकते हैं।
यहां उन मंदिरों की सूची दी जा रही है जो विदेशों में हैं। आइए जानते हैं कि भारत के बाहर कहां-कहां देवी माता के मंदिर हैं और दर्शन किसे व कैसे मिलते हैं।
विदेशों में देवी माता के प्रसिद्ध मंदिर
मनसा शक्तिपीठ
तिब्बत में मानसरोवर नदी के पास माता सती की दाईं हथेली गिरी थी। यहां उन्हें माता दाक्षायनी कहा जाता है। माता यहां एक शिला के रूप में स्थापित हैं।
मिथिला शक्तिपीठ
माता सती के 51 शक्तिपीठों में से कुछ भारत के बाहर हैं। भारते पड़ोसी देश नेपाल में भी एक प्राचीन और दिव्य शक्तिपीठ है, जिसका नाम मिथिला शक्तिपीठ है। मान्यता है कि भारत नेपाल सीमा पर माता सती का बायां कंधा गिरा था। यहां माता को देवी उम कहा जाता है। इसके अलावा नेपाल में तीन शक्तिपीठ और हैं। जिसमें गुहेश्वरी शक्तिपीठ, आद्या शक्तिपीठ और दंतकाली शक्तिपीठ का नाम शामिल है।
गुहेश्वरी शक्तिपीठ
नेपाल मे पशुपतिनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर बागमती नदी के किनारे यह शक्तिपीठ है। यहां मां सती के दोनों घुटने गिरे थे। यहां शक्ति के महामाया या महाशिरा रूप की पूजा होती है।
आद्या शक्तिपीठ
नेपाल में गंडक नदी के पास आद्या शक्तिपीठ है। मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती का बायां गाल गिरा था। यहां माता के गंडकी चंड़ी स्वरूप की पूजा होती है।
दंतकाली शक्तिपीठ
नेपाल के बिजयापुर गांव में माता सती के दांत गिरे थे। इस कारण इस शक्तिपीठ को दन्तकाली शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है।
चट्टल भवानी शक्तिपीठ
बांग्लादेश में भी देवी दुर्गा के कई मंदिर हैं। कुछ तो सिद्ध शक्तिपीठ हैं, जिसमें से एक चिट्टागौंग जिले में चंद्रनाथ पर्वत पर चट्टल भवानी शक्तिपीठ है। यहां माता सती की दायीं भुजा गिरी थी।
सुगंधा शक्तिपीठ
बांग्लादेश के शिकारपुर से 20 किमी दूर माता की नासिका गिरी थी। इस शक्तिपीठ में माता को सुगंधा कहा जाता है। इस शक्तिपीठ का एक अन्य नाम उग्रतारा शक्तिपीठ है।
जयंती शक्तिपीठ
बांग्लादेश के सिलहट जिले में जयंतिया परगना में माता की बाईं जांघ गिरी थी। यहां माता देवी जयंती नाम से स्थापित हैं।
श्रीशैल महालक्ष्मी
बांग्लादेश के सिलहट जिले में माता सती का गला गिला था। इस शक्तिपीठ में महालक्ष्मी स्वरूप की पूजा होती है।
यशोरेश्वरी माता शक्तिपीठ
बांग्लादेश के खुलना जिले में यशोर नाम की जगह है, जहां मां सती की बाईं हथेली गिरी थी।
इन्द्राक्षी शक्तिपीठ
श्रीलंका में भी देवी मां के मंदिर हैं। यहां माता का सिद्ध शक्तिपीठ भी है। जाफना नल्लूर में माता सती की पायल गिरी ती। इस शक्तिपीठ को इन्द्राक्षी कहा जाता है।
हिंगुला शक्तिपीठ
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में देवी का हिंगुला शक्तिपीठ है। इस शक्तिपीठ में माता को हिंगलाज देवी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि यहां माता सती का सिर गिरा था।