पर्यटन

भारतीय नोटों पर छपा है देश का इतिहास, यूनेस्को की इन 5 विश्व धरोहरों की मिलती है झलक

भारतीय नोट (Indian Currency), केवल आर्थिक लेन-देन का एक जरिया भर नहीं हैं। ये देश की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और स्थापत्य विरासत का एक चलता-फिरता संग्रहालय भी हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी अलग-अलग नोटों के पीछे की तरफ देश की कुछ ऐतिहासिक और यूनेस्को द्वारा मान्यताप्राप्त विश्व धरोहर स्थलों (UNESCO World Heritage Sites) को छापा गया है।

यह एक सोची-समझी रणनीति है जो हर नागरिक के हाथों में देश की गौरवशाली विरासत की एक झलक पहुंचाती है। आइए जानते हैं भारतीय नोटों पर छपी इन ऐतिहासिक इमारतों के बारे में जानते हैं।

10 रुपये का नोट- कोणार्क का सूर्य मंदिर, ओडिशा
दस रुपये के नोट पर छपा कोणार्क का सूर्य मंदिर, ओडिशा में स्थित है, जिसे 13वीं शताब्दी में राजा नरसिंहदेव प्रथम ने बनवाया था। यह मंदिर एक विशाल रथ के आकार में है, जिसे सात घोड़े खींच रहे हैं। यह भारतीय आर्किटेक्चर का एक अद्भुत नमूना है और 1984 में इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया था। यह मंदिर सूर्य देव को समर्पित है और इसकी नक्काशी व डिजाइन बेहद ही बारीक और सुंदर है।

20 रुपये का नोट- एलोरा की गुफाएं, महाराष्ट्र
बीस रुपये के नोट पर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित एलोरा की गुफाएं दिखाई देती हैं। यह स्थल भारत की धार्मिक सहिष्णुता एकता का प्रतीक है। यहां 34 गुफाएं हैं, जिन्हें बौद्ध, हिंदू और जैन धर्म के अनुयायियों ने बनवाया था। इनमें सबसे मशहूर कैलाश मंदिर है, जो एक ही पत्थर को तराशकर बनाया गया एक विशाल मंदिर परिसर है। एलोरा को 1983 में विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिला।

50 रुपये का नोट- विट्ठल मंदिर रथ, हम्पी
पचास रुपये के नोट पर कर्नाटक में स्थित हम्पी के विश्व प्रसिद्ध विट्ठल मंदिर परिसर के पत्थर के रथ को दर्शाया गया है। हम्पी विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी और यहां के खंडहर एक भव्य अतीत की गवाही देते हैं। विट्ठल मंदिर अपने अनोखे आर्किटेक्चर और म्युजिकल पिलर के लिए जाना जाता है। यह पत्थर का रथ द्रविड़ शिल्पकला का बेहतरीन उदाहरण है और यह असल में एक मंदिर है जिसे रथ के आकार में बनाया गया है। हम्पी को 1986 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया।

100 रुपये का नोट- रानी की वाव, पाटन
सौ रुपये के नोट पर गुजरात के पाटन में स्थित रानी की वाव को दिखाया गया है। यह कोई सामान्य बावड़ी नहीं, बल्कि भूमिगत जल संरचना का एक शाही और कलात्मक रूप है। इसे 11वीं शताब्दी में राजा भीमदेव प्रथम की स्मृति में रानी उदयमती ने बनवाया था। इसकी दीवारों पर नायिकाओं और देवी-देवताओं की सैकड़ों मूर्तियां उकेरी गई हैं। इसे 2014 में विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिला।

500 रुपये का नोट- लाल किला, दिल्ली
पांच सौ रुपये के नोट पर दिल्ली स्थित लाल किले को दिखाया गया है। इसका निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने करवाया था। लाल बलुआ पत्थर से बने इस विशाल किले ने भारत के इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाओं को देखा है। यह न केवल मुगल साम्राज्य की शक्ति का प्रतीक था, बल्कि 15 अगस्त 1947 को यहीं से भारत को आजादी मिलने के बाद पहला तिरंगा फहराया गया था। इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता के कारण 2007 में इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया।

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