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कलकत्ता हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला; जानिए पूरा मामला

कलकत्ता हाई कोर्ट ने चंदननगर नगर निगम को एक किशोरी के जन्म प्रमाणपत्र में उसके पिता की जगह मां का सरनेम करने का निर्देश दिया है। अदालत सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार किशोरी के माता-पिता का तलाक हो चुका है।

वह मां के साथ रह रही है। नौवीं की छात्रा है। उसके जन्म प्रमाणपत्र में नाम के साथ पिता का सरनेम ‘चट्टोपाध्याय’ है लेकिन उसका आधार कार्ड, पासपोर्ट समेत अन्य दस्तावेज बनवाते समय मां ने अपने सरनेम ‘भट्टाचार्य’ का इस्तेमाल किया था।

बोर्ड की परीक्षा के रजिस्ट्रेशन में आई दिक्कत
बोर्ड की परीक्षा के रजिस्ट्रेशन के समय इस कारण समस्या उत्पन्न हुई। इसे देखते हुए मां ने बेटी के जन्म प्रमाणपत्र से पिता का सरनेम बदलने के लिए चंदननगर नगर निगम में आवेदन किया था, जिसपर कहा गया कि नियमों के अनुसार जन्म संबंधी दस्तावेजों में कोई त्रुटि रहने पर ही निगम को उसमें संशोधन करने का अधिकार है।

बाकी मामलों में वह कुछ नहीं कर सकता। इसके बाद मां ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति गौरांग कांत ने इसपर विचार करते हुए निगम को एक महीने के अंदर सरनेम बदलकर नया जन्म प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दिया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरनेम बदलने पर भी किशोरी अपने पिता के उत्तराधिकार से वंचित नहीं होगी।

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