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ट्रेड यूनियन और किसान संगठनों की आज हड़ताल, इन चीजों पर पड़ेगा असर

ट्रेड यूनियन और किसान संगठनों से जुड़े 25 करोड़ से अधिक लोग बुधवार को नए श्रम कानूनों और निजीकरण के विरोध में देश भर में हड़ताल पर जाएंगे। कर्मचारियों की हड़ताल से बैंकिंग, डाक सेवाएं एवं सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों जैसी सेवाएं बंद होने की संभावना है।

पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग
श्रमिक संगठनों ने न्यूनतम मासिक वेतन 26 हजार रुपये करने और पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने जैसी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के मकसद से देशव्यापी हड़ताल पर जाने की घोषणा की है।

संयुक्त किसान मोर्चा जैसे संगठनों ने दिया समर्थन
एक श्रमिक संगठन के पदाधिकारी ने मंगलवार को कहा कि आम हड़ताल से बैंकिंग, बीमा, डाक, कोयला खनन, राजमार्ग और निर्माण जैसे क्षेत्रों में सेवाएं बाधित हो सकती हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और नरेगा संघर्ष मोर्चा जैसे क्षेत्रीय संगठनों ने भी इस हड़ताल को अपना समर्थन दिया है।

किसानों की ऋण माफी की मांग
सीटू, इंटक और एटक जैसे केंद्रीय श्रमिक संगठन चार श्रम संहिताओं को हटाने, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण, ठेका व्यवस्था खत्म करने, न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 26,000 रुपये प्रति माह करने के साथ ही किसान संगठनों की एमएसपी और ऋण माफी की मांग पर जोर दे रहे हैं। हालांकि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ ने इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए आम हड़ताल में हिस्सा नहीं लेने की बात कही है।

सेंटर फ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के राष्ट्रीय सचिव ए आर सिंधु ने कहा कि संगठित और असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों सहित लगभग 25 करोड़ श्रमिकों के आम हड़ताल में भाग लेने की संभावना है। सिंधु ने कहा कि इस दौरान औद्योगिक क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।

हड़ताल को किसका समर्थन?
ट्रेड यूनियनों के मुताबिक, हड़ताल में 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। इस हड़ताल को किसानों और ग्रामीण श्रमिकों का भी समर्थन मिल सकता है। NMDC लिमिटेड, अन्य खनिज, इस्पात कंपनियों, राज्य सरकारों में काम करने वाले विभाग और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हो सकते हैं।

इसके अलावा, संयुक्त किसान मोर्चा और कृषि श्रमिक संगठनों ने भी इस हड़ताल को समर्थन दिया है। बता दें कि इससे पहले श्रमिक संगठनों ने 26 नवंबर 2020, 28-29 मार्च 2022 और 16 फरवरी 2024 को देशव्यापी हड़ताल की थी।

ये हैं प्रमुख मांग
यूनियनों का कहना है कि उन्होंने पिछले साल श्रम मंत्री को कुछ मांगों का ज्ञापन सौंपा था, जिनमें ये प्रमुख हैं…

बेरोजगारी दूर करने के लिए नई भर्तियां शुरू की जाएं
युवाओं को नौकरी मिले, रिटायर्ड लोगों की दोबारा भर्ती बंद हो
मनरेगा की मजदूरी और दिनों की संख्या बढ़ाई जाए
शहरी बेरोजगारों के लिए भी मनरेगा जैसी योजना लागू हो
निजीकरण, कॉन्ट्रेक्ट बेस्ड नौकरी और आउटसोर्सिंग पर रोक लगे
चार लेबर कोड खत्म हों, जो कर्मचारियों के हक छीनते हैं
मूलभूत जरूरतों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और राशन पर खर्च बढ़े
सरकार ने 10 साल से वार्षिक श्रम सम्मेलन आयोजित नहीं किया।

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