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स्पाइसजेट को गलत टिकट जारी करना पड़ा भारी; यात्री को 25000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश

मुंबई के एक उपभोक्ता आयोग ने माना है कि स्पाइसजेट की ओर से 2020 में अपनी यात्रा का मार्ग बदलते समय गलत टिकट जारी करना एक वरिष्ठ नागरिक के लिए आर्थिक और मानसिक रूप से नुकसानदायक साबित हुआ। आयोग ने एयरलाइन को यात्री को 25,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, मुंबई (उपनगरीय) ने 17 जून को पारित आदेश में यात्री के मानसिक उत्पीड़न का कारण बनने वाली गलती के लिए बजट वाहक को सेवा में कमी और लापरवाह व्यवहार का दोषी ठहराया।

यात्री की तत्काल आवश्यकता को देखते हुए एयरलाइन ने खराब मौसम के कारण उसकी प्रारंभिक उड़ान रद्द होने के बाद एक वैकल्पिक बुकिंग की थी, जहां गलत टिकट जारी किया गया था। आयोग ने माना कि उड़ान रद्द करना एयरलाइन के नियंत्रण से बाहर था और एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) ने यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए यह निर्णय लिया था।

इसमें कहा गया कि एयरलाइन ने शिकायतकर्ता को वैकल्पिक टिकट उपलब्ध कराने के लिए सभी आवश्यक प्रयास किए थे। हालांकि, जारी किया गया टिकट गलत था। इस तरह शिकायतकर्ता को आर्थिक और मानसिक रूप से नुकसान उठाना पड़ा। आयोग ने आगे कहा कि शिकायतकर्ता ने लापरवाही भी की। अगर शिकायतकर्ता ने टिकट जारी होने के समय ही उसे चेक कर लिया होता, तो गलती को मौके पर ही सुधारा जा सकता था और शिकायतकर्ता खुद को आगे की परेशानी से बचा सकता था।

क्या है मामला और शिकायतकर्ता की दलील
घाटकोपर इलाके में रहने वाले एक वरिष्ठ नागरिक शिकायतकर्ता ने 5 दिसंबर, 2020 के लिए मुंबई से दरभंगा और दो दिन बाद वापसी की यात्रा के लिए स्पाइसजेट की टिकटें बुक की थीं। उनकी मुंबई से दरभंगा की यात्रा पूरी हो चुकी थी और खराब मौसम के कारण वापसी की उड़ान रद्द कर दी गई। चूंकि उन्हें 8 दिसंबर, 2020 को मुंबई में पीएचडी ऑनलाइन परीक्षा देनी थी, इसलिए उसने वैकल्पिक व्यवस्था का अनुरोध किया।

स्पाइसजेट ने फिर उसी दिन पटना से कोलकाता और फिर कोलकाता से मुंबई की यात्रा के लिए वैकल्पिक टिकट उपलब्ध कराया। हालांकि, पटना पहुंचने पर हवाई अड्डे के अधिकारियों ने उसे सूचित किया कि जारी किए गए टिकट गलत थे, क्योंकि कोलकाता से मुंबई के लिए कनेक्टिंग फ्लाइट उसके कोलकाता पहुंचने से पहले रवाना होने वाली थी। इस कारण शिकायतकर्ता को अपने खर्च पर अगली सुबह के लिए दूसरी फ्लाइट बुक करनी पड़ी, जिससे उसे काफी कठिनाई, मानसिक पीड़ा और वित्तीय नुकसान हुआ।

ऐसी स्थिति में मुंबई पहुंचने में देरी के कारण उसकी ऑनलाइन परीक्षा भी छूट गई। इसलिए उन्होंने एयरलाइन की ओर से सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार का आरोप लगाते हुए उपभोक्ता पैनल से संपर्क किया। उन्होंने मानसिक पीड़ा के लिए 2 लाख रुपये और मुकदमे की लागत के रूप में 25,000 रुपये के मुआवजे के साथ 14,577 रुपये की किराया राशि वापस करने की मांग की।

स्पाइसजेट की दलीलें
स्पाइसजेट ने अपने बचाव में तर्क दिया कि उड़ान रद्द करना खराब मौसम के कारण था, जो उसके नियंत्रण से बाहर का मामला है और कैरिज बाय एयर एक्ट, 1972 के अनुसार उसकी देयता सीमित है। एयरलाइन ने कहा कि अतिरिक्त शुल्क के बिना एक वैकल्पिक उड़ान प्रदान की गई थी और शिकायतकर्ता को उसकी बुकिंग एजेंसी के माध्यम से पूरी टिकट राशि वापस कर दी गई थी।

लापरवाहीपूर्ण कृत्य से बच नहीं सकती एयरलाइन
आयोग ने फैसले में कहा कि एयरलाइन ने शिकायतकर्ता को वैकल्पिक टिकट प्रदान करने के लिए सभी आवश्यक प्रयास किए थे। हालांकि, टिकट गलत था। विपक्षी पक्ष (एयरलाइन) ने गलती का एहसास होने के बाद शिकायतकर्ता को प्रतिपूर्ति की। आयोग ने कहा, ‘शिकायतकर्ता को हुए वित्तीय नुकसान की भरपाई के लिए विपक्षी पक्ष ने खुद से प्रयास किए थे।’ हालांकि, यह बात भी कही गई कि एयरलाइन शिकायतकर्ता को गलत टिकट जारी करने के लापरवाहीपूर्ण कृत्य से बच नहीं सकती।

आयोग ने सुनाया फैसला
आयोग ने फैसला सुनाया, ‘ हमारी राय में विपक्षी पक्ष गलत टिकट जारी करके सेवा में कमी और लापरवाही का दोषी है, जिससे शिकायतकर्ता को मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। शिकायतकर्ता को मानसिक पीड़ा के साथ-साथ कानूनी खर्च के लिए मुआवजा मिलना चाहिए। इसलिए आयोग ने एयरलाइन को यात्री को मानसिक पीड़ा के लिए 25,000 रुपये और मुकदमे की लागत के लिए 5,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया।’

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